हैदराबाद: रोहित वेमूला ने 13 मार्च 2014 को फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट की। यह तस्वीर सिलाई मशीन की थी जिसके लिए उसने लिखा था- यह ‘हमारे घर की रोजी रोटी का प्रमुख साधन’ है। यूनिवर्सिटी से 25 हजार रुपए की जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिलने की शुरुआत होने से पहले की बात है। रोहित इसी 30 जनवरी को 27 साल का होने वाला था।
कुछ बिखरे बर्तन, स्लेटी दीवारें और पीली कुर्सी…
26 वर्षीय रोहित ने लिखा था- यह मेरी मां का पसंदीदा पेशा है… वह कहती थीं ‘मशीन’ एक औरत को ताकतवर बना सकती है.. वह अब एक टीचर हैं, वह आसपास की महिलाओं को सिलाई-बुनाई करना सिखाती हैं…’
इस खबर में हमने लगाई हैं, ऐसी ही कई तस्वीरें मिलकर गुंटूर में रोहित की जिन्दगी की सचाई पेश करती हैं जिन्हें उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट किया है। रोहित यहीं पला बढ़ा। बिना सफेदी/डिस्टम्बर की स्लेटी दीवारें, एक सिलाई मशीन जिसके आसपास प्लास्टिक के बैग रखे हैं जिनमें ठुंसे हुए हैं कपड़े। बिखरे हुए कुछ बर्तन, कपड़ों के ही यहां वहां इकट्ठा हुए ढेर, एक पीले रंग की प्लास्टिक की कुर्सी जिसके पास एक टीवी भी रखा है। इनके अलावा भी कुछ तस्वीरें हैं जो उसके जीवन का चलचित्र पेश करती हैं, एक यूनिफॉर्म टंगी दिखती है जिसकी तस्वीर के नीचे कैप्शन लिखा है- पापा की यूनिफॉर्म, जो एक हॉस्पिटल में सिक्यॉरिटी गार्ड हैं।
‘चीजें जितना करीब दिखती हैं, उससे ज्यादा करीब (कभी नहीं) होती’
एक खस्ताहाल रेफ्रिजरेटर भी है, जिसके बारे में उसने लिखा है, इसके भीतर पड़ोसियों के लिए पानी की कुछ बोतलें रखी हैं। उसका फेसबुक प्रोफाइल दलित मसलों पर सक्रियता की पोस्ट्स से अटा पड़ा है लेकिन हाल के दिनों में वह इन मसलों से थोड़ा कट गया लगता है। अपनी आखिरी पोस्ट्स में से एक पोस्ट में वह लिखता है- Objects in the mirror are (never) closer than they appear. यानी, आईने में दिख रही चीजें जितना करीब दिखती हैं, उससे ज्यादा करीब (कभी नहीं) होती हैं।
‘उन्होंने हमें बताया क्यों नहीं कि उसे क्यों निलंबित किया गया?’
रोहित के दोस्तों का कहना है कि उसका ‘दिल टूट गया था’। उन्हें 21 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से बाहर ‘फेंक’ दिए जाने के बाद रोहित समेत पांच स्टूडेंट्स कैंपस गेट के बाहर तंबू लगाकर रह रहे थे। उन्हें मेस और दूसरी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया था। एबीवीपी कार्यकर्ता से कथित झड़प के मसले पर यूनिवर्सिटी ने रोहित समेत सभी को प्राथमिक जांच में निर्दोष करार दिया था। लेकिन बाद में यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला पलट लिया था। स्टूडेंट्स का कहना है कि आरोप लगा रहे हैं कि रोहित का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था।
रोहित की दादी का कहना है- मेरा बेटा कोमल दिल था, उसे निलंबित कर दिया गया जिसके बाद वह तंबू में रहने को मजबूर था। उन्होंने हमें बताया क्यों नहीं कि उसे क्यों निलंबित किया गया? रोहित की दादी हैदराबाद यूनिवर्सिटी के परिसर में अपने परिवार के साथ मौजूद आई हुई थीं।
सात महीनों से फेलोशिप की रकम नहीं मिली थी…
पिछले सात महीनों से उसे फेलोशिप के पैसे नहीं मिले थे और जीना मुहाल हो चुका था। रविवार को जब उसके साथी प्रदर्शन को और कड़ा करने को लेकर चर्चा कर रहे थे, तब रोहित चुपचाप अपने हॉस्टल में चला गया था। कुछ घंटो बाद, रोहित ने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
सूइसाइड नोट में रोहित ने लिखा है कि ‘मेरी आत्मा और मेरे शरीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है’। उसने लिखा- मेरा पैदा होना भयंकर दुर्घटना थी। मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी नहीं उबर सकता। एक ऐसा बच्चा जिसे अतीत में किसी का प्यार नहीं मिला।
इस खत (सूइसाइड नोट) में प्रोटेस्ट का जिक्र नहीं किया है लेकिन लिखा है कि उसे महीने से फेलोशिप के पैसे नहीं मिले जोकि करीब 1.75 हजार रुपए के करीब बनते थे। ये पैसे जब मिल जाएं तो परिवार को सौंप दिए जाएं। उसने लिखा कि इसमें से 40 हजार रुपए की रकम उसके दोस्त रामजी को दे दी जाए।