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एजेएल को गलत तरीके से जमीन आवंटित करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ी

रोहतक : एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गलत तरीके से जमीन आवंटित करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। शुक्रवार सुबह सीबीआई ने हुडा के रोहतक स्थित डी पार्क आवास पर छापेमारी की। बताया जा रहा है कि इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा भी आवास में ही मौजूद थे। इस दौरान किसी को भी आवास के भीतर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई और न ही कोई बाहर आ सका है। सीबीआई की रेड से शहर में हड़कंप मच गया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने आरोप लगाया कि जींद उपचुनाव को देखते हुए भाजपा सरकार ने यह छापेमारी कराई है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री का कोई लेना-देना नहीं है, सिर्फ बदनाम किया जा रहा है। सूत्रों के हवाले से पूर्व मुख्यमंत्री को सीबीआई की रेड का पहले ही पता चला गया था| इसलिए वे अपने आवास पर ही मौजूद रहे। फिलहाल सीबीआई एजेएल से संबंधित रिकॉर्ड की जांच में जुटी हुई है। ऐसे की गई जमीन आवंटित सीबीआई द्वारा दायर की चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 28 अगस्त 2005 को पद का दुरुपयोग करते हुए एजेएल को पंचकूला में जमीन आवंटित की। यह जमीन एजेएल को 30 अगस्त 1982 में आवंटित की गई थी। शर्त यह थी कि कंपनी छह महीने में जमीन पर कंस्ट्रक्‍शन करेगी| लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो 30 अक्टूबर 1992 को पंचकूला के संपदा अधिकारी ने जमीन रिज्यूम कर ली। साथ ही 10 फीसदी राशि में कटौती कर शेष राशि 10 नवम्बर 1995 को लौटा दी गई। इसका एजेएल ने विरोध किया और राजस्व विभाग के पास अपील की। यहां भी एजेएल को राहत नहीं मिली। आरोप है कि एजेएल को साल 2005 में बड़ी राहत उस समय मिल गई जब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन होने के नाते तब के मुख्यमंत्री हुड्डा ने एजेएल को यह जमीन दोबारा से अलॉट करवाने का रास्ता तैयार कर दिया। उल्लेखनीय है कि तब हुड्डा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक ने तर्क दिया था कि पुरानी कीमत पर जमीन को आवंटित करना संभव नहीं है। बावजूद 28 अगस्त 2005 को पंचकूला की जमीन 1982 की दर पर ही एजेएल को अलॉट हो गई।

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