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एनआरआई स्टूडेंट्स ने यहां गर्ल एजुकेशन के लिए इकट्ठे किए 28 लाख

गर्ल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए यहां के छह एनआरआई स्टूडेंट्स ने 28 लाख रुपए इकट्ठे कर लिए हैं। वे चाहते हैं कि भारत में लडकों की तरह ही लडकियों को भी शिक्षा से जुड़ने का समान अवसर मिले और उनकी शिक्षा में किसी तरह की रुकावट न आए। बैल्जियम के स्टूडेंट्स का छह सदसीय दल जयपुर आया हुआ है और यहां वे गांव-गांव जाकर बालिका शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। ये स्टूडेंटस अलग-अलग स्कूल में पढते हैं और इंडिया में गर्ल एजुकेशन को सपोर्ट करने के लिए सभी ने साथ मिलकर करीब 28 लाख का फंड जुटा लिया है।

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एनआरआई स्टूडेंट्स ने यहां गर्ल एजुकेशन के लिए इकट्ठे किए 28 लाख

ये स्टूडेंट्स पिछले पांच दिनों से जयपुर के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड नाटक के जरिए लड़के और लड़कियों में अंतर नहीं मानने की मानसिकता को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं गर्ल एजुकेशन के महत्व को बता रहे हैं। टीम के सदस्य जयपुर के ग्रामीण इलाकों (सांभरीया, अचलपूरा, मूदड़ी, लवान, चौपडा का बालाजी, पालावाल) सहित आठ जगहों पर बालिका शिक्षा को लेकर संदेश दे चुके हैं।

टीम के सदस्य अरनव कोठारी ने बताया कि बैल्जियम में भी कई बार वहां रह रहे भारतीय परिवारों से सम्पर्क करने का मौका मिला। पता चला कि भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गर्ल एजुकेशन को लेकर सोच बहुत ही संकुचित है। खिलती परी के नाम से एनजीओ की शुरूआत के साथ हमने बैल्जियम के लोगों को अपने इस सोशल कॉज से जोड़ा।

टीम के अन्य सदस्य जेनित संघवी, ब्रिंदा पटेल, साक्षी शाह, विधि पारीख और जानवी काकडिया हम सभी मिलकर गर्ल चाइल्ड को शिक्षा से जोडने के लिए स्टेशनरी दे रहे हैं। सदस्यों के अनुसार इसके बाद स्कूलों में शौचालय भी बनवाए जाएंगे।

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आर्ट गैलरी से मिली खिलती परी को शुरुआत

अरनव ने बताया कि बैल्जियम के प्रोफेशनल और अमेचर आर्टिस्टस को इस सोशल कॉज से जोड़ने का निर्णय किया। ऐसे में सभी आर्टिस्ट ने अपनी तरफ से चार सौ पेटिंग्स बनाई और उन पेटिंग की हमने आर्ट एग्जिबिशन लगाई। इस आर्ट एक्जिबीशन से 19 लाख रुपए जुट गए और खिलती परी को एक अच्छी शुरुआत मिल गई।

अरनव का कहना है कि ग्रामीण क्षे़त्रों में हमने पांच समस्याओं को देखा हैं। इसमें परिवार का आर्थिक रूप से कमजोर होने और शिक्षण संस्थानों की घर से दूरी होने के साथ मानसिकता से जुडे़ कारण शामिल हैं। जैसे पढ़ाई के बाद लड़की की मांगे बढ जाएंगी, लड़कियों की शिक्षा के बाद उनके विवाह में समस्याएं आएंगी और शादी के बाद उन्हें दूसरे घर ही जाना है, तो पढ़ाने का क्या फायदा।

हम इन्हीं पांचों समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए हम नुक्कड नाटक के जरिए लोगों की मानसिकता बदलने, स्कूल स्टेशनरी और फिस में सहयोग करने और स्कूलों में शौचालय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

 

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