आईएस ने ईरान में हमले की दी धमकी
ये स्टूडेंट्स पिछले पांच दिनों से जयपुर के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड नाटक के जरिए लड़के और लड़कियों में अंतर नहीं मानने की मानसिकता को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं गर्ल एजुकेशन के महत्व को बता रहे हैं। टीम के सदस्य जयपुर के ग्रामीण इलाकों (सांभरीया, अचलपूरा, मूदड़ी, लवान, चौपडा का बालाजी, पालावाल) सहित आठ जगहों पर बालिका शिक्षा को लेकर संदेश दे चुके हैं।
टीम के सदस्य अरनव कोठारी ने बताया कि बैल्जियम में भी कई बार वहां रह रहे भारतीय परिवारों से सम्पर्क करने का मौका मिला। पता चला कि भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गर्ल एजुकेशन को लेकर सोच बहुत ही संकुचित है। खिलती परी के नाम से एनजीओ की शुरूआत के साथ हमने बैल्जियम के लोगों को अपने इस सोशल कॉज से जोड़ा।
टीम के अन्य सदस्य जेनित संघवी, ब्रिंदा पटेल, साक्षी शाह, विधि पारीख और जानवी काकडिया हम सभी मिलकर गर्ल चाइल्ड को शिक्षा से जोडने के लिए स्टेशनरी दे रहे हैं। सदस्यों के अनुसार इसके बाद स्कूलों में शौचालय भी बनवाए जाएंगे।
अरनव का कहना है कि ग्रामीण क्षे़त्रों में हमने पांच समस्याओं को देखा हैं। इसमें परिवार का आर्थिक रूप से कमजोर होने और शिक्षण संस्थानों की घर से दूरी होने के साथ मानसिकता से जुडे़ कारण शामिल हैं। जैसे पढ़ाई के बाद लड़की की मांगे बढ जाएंगी, लड़कियों की शिक्षा के बाद उनके विवाह में समस्याएं आएंगी और शादी के बाद उन्हें दूसरे घर ही जाना है, तो पढ़ाने का क्या फायदा।
हम इन्हीं पांचों समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए हम नुक्कड नाटक के जरिए लोगों की मानसिकता बदलने, स्कूल स्टेशनरी और फिस में सहयोग करने और स्कूलों में शौचालय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।