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एनडीए छोड़ने के 8 दिन बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चंद्रबाबू नायडू को लिखा पत्र, कहा- राजनीति से प्रेरित फैसला एकतरफा

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के एनडीए छोड़ने के 8 दिन बाद बाद आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखा। इसमें शाह ने कहा कि आपका यह फैसला एकतरफा और दुर्भाग्यपूर्ण है। विकास की चिंता करने की बजाय पूरी तरह से राजनीतिक विचारों से प्रेरित होकर यह कदम उठाया है। गौरतलब है कि राज्य के लिए स्पेशल पैकेज की मांग को लेकर टीडीपी ने 16 मार्च को एनडीए के साथ 4 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। इसके बाद टीडीपी प्रमुख नायडू ने भी बीजेपी अध्यक्ष को पत्र भेजा था। भाजपा अध्यक्ष ने कहा, सबसे पहले मैं आंध्र की जनता को उगादी त्योहार की बधाई देता हूं। आशा करता हूं कि नया साल आपके जीवन में खुशियां लेकर आए। टीडीपी के एनडीए से अलग होने पर कहना चाहता हूं कि आपका यह फैसला विकास की चिंता की बजाय पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। भाजपा सरकार ने सभी गाइडलाइन फॉलो करते हुए आंध्र के लिए विकास की नीति बनाई। सभी लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। आपको याद रखना चाहिए कि जब लोकसभा और राज्यसभा में टीडीपी का कोई बजूद नहीं था तो भारतीय जनता पार्टी ने दोनों राज्यों (आंध्र-तेलंगाना) में तेलुगु लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज बुलंद की थी।टीडीपी प्रमुख ने भी अमित शाह को लिखे पत्र में कहा था कि हमने बीजेपी के साथ इस आशा में गठबंधन किया ताकि आंध्र की जनता को इंसाफ मिलेगा। यह भी उम्मीद थी कि वक्त आने पर हमारे साथ निष्पक्ष व्यवहार भी होगा, अगर यह उद्देश्य पूरे नहीं किये जा रहे हैं तो हमारा एनडीए में रहने का कोई अर्थ नहीं। गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुए टी़डीपी के नेताओं ने कहा था कि भाजपा का मतलब है ‘ब्रेक जनता प्रॉमिस’ (जनता से वादा तोड़ो) है। टीडीपी ने 19 मार्च को संसद में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया था। हालांकि, हंगामे की वजह से इसे स्वीकार नहीं किया जा सका। आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रघुवीर रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के प्रस्ताव के समर्थन की बात कही थी। इसके अलावा एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम जैसे बड़े दल भी टीडीपी के साथ हैं।
आंध्र का कहना है कि तेलंगाना बनने से प्रदेश का राजस्व घाटा 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है। वहीं, केंद्र के मुताबिक असल घाटा 4 हजार करोड़ का है। अभी 11 राज्य अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और असम को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। इसमें 90% तक केंद्रीय अनुदान मिलता है। बेहद दुर्गम इलाके वाला पर्वतीय क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा, प्रति व्यक्ति आय और राजस्व काफी कम आदि विशेष दर्जे की शर्तें हैं।
गौरतलब है कि करीब चार साल के कार्यकाल में भाजपा की मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए। हालांकि, इनसे सरकार को कोई खतरा नहीं है। वित्त मंत्री जेटली का कहा था कि 14वें वित्त आयोग के बाद अब यह दर्जा नॉर्थ-ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और को नहीं मिल सकता है। आंध्र पोलवरम योजना और अमरावती के लिए 33-33 हजार करोड़ रुप्ए मांग रहा है। केंद्र का कहना है कि पोलवरम के लिए 5 हजार करोड़ और अमरावती के लिए ढाई हजार करोड़ रुपए दे चुका है। इसमें गुंटूर, विजयवाड़ा के लिए 500-500 करोड़ रुपए शामिल हैं। केंद्र सरकार के अनुसार, आंध्र प्रदेश के अलावा बिहार, ओडिशा, राजस्थान और गोवा की सरकारें केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही हैं।

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