विदेश से लौटने के बाद यौन शोषण के आरोपों पर भले ही विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने मीडिया में सफाई दे दी है, मगर उनकी कुर्सी अभी भी मुश्किल में है। जहाँ तक भाजपा नेतृत्व उन्हें नैतिकता के आधार पर खुद ही पद छोड़ने की घोषणा करने का निर्देश दे सकता है। हालांकि, पार्टी और सरकार में एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि चूंकि सारे आरोप एमजे अकबर के मंत्री बनने से पहले के हैं, ऐसे में उनके इस्तीफे से पार्टी और सरकार की छवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचने वाला है।
जल्द देंगे पार्टी नेतृत्व के आगे सफाई
पार्टी सूत्रों के मुताबिक अकबर ने फिलहाल मीडिया के माध्यम से आरोपों पर सफाई दी है। वह जल्द ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी सफाई देंगे। संभवत: इसी दौरान उन्हें स्वेच्छा से इस्तीफा देने का निर्देश दिया जा सकता है।
वैसे भी उनसे जुड़े आरोपों का सिलसिला शुरू होते ही शीर्ष नेतृत्व ने उनके भविष्य को ले कर गंभीर मंथन किया था। उस समय तक एमजे की कुर्सी बचती दिख रही थी। तब शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले में इंतजार करने का फैसला किया था। मगर बाद में आरोपों का सिलसिला तेजी से आगे बढ़ा और उनकी स्थिति कमजोर होती चली गई।
आगे भी हो सकती हैं मुश्किलें
सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक एमजे पर लगे आरोपों का इस सरकार से कोई लेना देना नहीं है। सारे आरोप उस समय के हैं जब अकबर पत्रकारिता में सक्रिय थे। ऐसे में इन आरोपों से सरकार की छवि पर कोई आंच नहीं आ रही।
हालांकि अब वह सरकार में शामिल हैं और आरोपों पर संज्ञान न लेने पर सरकार और पार्टी की छवि पर असर पड़ेगा। संज्ञान न लेने की स्थिति में आरोपों का सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। हालांकि डर इस बात का है कि बिना सबूतों के लगाए जा रहे आरोपों का सिलसिला अकबर की विदाई के बाद भी जारी रहा तो मुश्किलें खड़ी होंगी।
महिला मंत्री हैं मुखर
आरोपों पर सरकार में शामिल कई महिला मंत्री मुखर हैं। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सार्वजनिक तौर पर आरोपों की जांच की सलाह दी है तो दूसरी वरिष्ठ मंत्री स्मृति ईरानी ने मी टू अभियान मामले में महिलाओं के साहस की प्रशंसा की है।