एयर इंडिया में 67,000 करोड़ के विमान खरीद ‘घोटाले’ की जांच तय समय में पूरा करने को SC ने दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 2005-06 में यूपीए सरकार के समय 111 विमानों की खरीद के मामले में चल रही जांच को तय समय सीमा में पूरी करने को कहा है. कोर्ट ने कहा की हम उम्मीद करते हैं की सीबीआई तय समय सीमा में जून 2017 तक जांच पूरी कर लेगी. थी. याचिका में कहा गया था कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान एयर इंडिया ने बिना वजह 111 विमान खरीदे, जिससे सरकारी खजाने को 67,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
विमानों की ‘अनावश्यक खरीद’ में सीपीआईएल की तरफ से दायर याचिका का निपटारा करते हुए मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि सीबीआई पहले ही इस मामले में केस दर्ज कर चुकी है और मामले की जांच अभी विचाराधीन है. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि उनकी जांच जून 2017 तक पूरी कर ली जायेगी.ऐसे में कोर्ट इस मामले में सुनवाई की जरूरत महसूस नहीं करती. इसलिए याचिका का निपटारा किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पब्लिक एकाउंट्स कमिटी संसद में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर सकती है.
सरकार ने कहा, सुप्रीम कोर्ट को नहीं देना चाहिए आदेश
इससे पहले गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश होते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में तीन एजेंसियों की जांच चल रही है. पब्लिक एकाउंट्स कमिटी, CAG और सीबीआई मामले की जांच कर रही हैं. यहां तक कि सीबीआई मामले से जुडे 55 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी है. संसद की PAC और CAG दोनों संसद के प्रति जवाबदेह हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को मामले में कोई आदेश नहीं देना चाहिए. इस मामले की जांच जून 2017 तक जांच पूरी हो जाएगी.
गौरतलब है की CPIL नाम की गैर सरकारी संस्था ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि एयर इंडिया ने बिना वजह 111 विमान खरीदे, जिससे सरकारी खजाने को 67,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और राष्ट्रीय विमानन कम्पनी एयर इंडिया घाटे में चली गई. याचिका में विमानों की खरीद और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य निर्णयों की जांच सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की गुज़ारिश की गयी थी.
मुनाफे से घाटे की ओर एयर इंडिया की उड़ान
याचिका में ये भी कहा गया था कि ये फैसला साल 2004 से 2008 के बीच लिए गए थे, जब प्रफुल्ल पटेल केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री थे. याचिका में कहा गया था कि उस वक्त एयर इंडिया का मुनाफा 100 करोड़ रुपये का था, लेकिन इसकी क्षमता कुछ विमान खरीदने तक की भी नहीं थी. पर एयर इंडिया ने 111 विमानों की खरीद की, जिससे राष्ट्रीय विमानन कम्पनी घाटे में चली गई और यह घाटा बढ़ता ही गया.