टॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगराष्ट्रीय

एलएसी पर 20 हजार सैनिक भेजे, भारत ने भी की जवाबी तैयारी

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच डिप्लोमैटिक और मिलिट्री लेवल की बातचीत जारी है। लेकिन, पूर्वी लद्दाख में चीन सैन्य तैनाती भी बढ़ा रहा है। एलएसी के करीब उसने 20 हजार सैनिक बढ़ाए हैं। शिनजियांग में सेना की गाड़ियां और हथियार जमा किए गए हैं। यह भारतीय सीमा तक 48 घंटे में पहुंचाए जा सकते हैं। दूसरी तरफ, भारत भी जवाबी तैयारी कर रहा है। न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर और अक्टूबर के बीच यहां बर्फबारी शुरू होती है। इसके पहले हालात सुधरना मुश्किल नजर आ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार भारत चीनी सेना की हर हरकत पर नजर रख रहा है।

6 हफ्ते से बातचीत जारी है लेकिन, चीन के सैनिकों की संख्या और हथियारों की तैनाती कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है। तिब्बत के क्षेत्र में भारत और चीन की हमेशा दो डिवीजन (20 हजार सैनिक) तैनात रहती हैं। लेकिन, इस बार चीन ने लगभग इतने ही जवानों की तैनाती और की है। चीन ने अगर दो डिवीजन बढ़ाईं तो भारतीय सेना ने भी इस सेक्टर के लिए ट्रैंड दो डिवीजन बढ़ा दिए।

टैंक्स और बीएमपी-2 इन्फैंट्री के साथ कॉम्बैट व्हीकल भी हवाई रास्ते से लाए जा चुके हैं। दौलत बेग ओल्डी यानी डीबीओ में भी आर्म्ड ब्रिगेड मोर्चा संभाल चुकी है। फिलहाल, पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा का जिम्मा त्रिशूल इन्फेंट्री डिवीजन के पास है। यहां इसकी तीन ब्रिगेड तैनात हैं। चीन डीबीओ से गलवान और काराकोरम तक बढ़ने की कोशिश कर रहा है। लिहाजा, भारत भी यहां एक और डिवीजन की तैनाती पर विचार कर रहा है। पेंगौंग त्सो लेक से कुछ दूरी पर फिंगर 4 इलाका है। यहां चीनी सेना का बेस है। लेक में चीन ने पेट्रोलिंग के लिए बड़ी बोट्स लगाई हैं। फिंगर 5 से 8 के बीच चीन ने सड़क भी बनाई है। यहां से वह अपने सैनिकों को मोर्चे पर भारत की तुलना में ज्यादा जल्दी भेज सकता है।

लेक के करीब चीन मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर रहा है। 18 और 19 के बीच पेंगौंग लेक के करीब चीन के करीब 2,500 सैनिक लेक की तरफ बढ़े थे। उस वक्त भारत के यहां सिर्फ 200 जवान थे। चीनी नहीं चाहते थे कि फिंगर 3 एरिया के आगे भारतीय जवान पेट्रोलिंग करें। दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सितंबर-अक्टूबर में बर्फबारी शुरू होने के पहले तनाव कम नहीं होगा। क्योंकि, तब यहां तैनाती बेहद मुश्किल होगी। भारत भी जानता है कि तनाव लंबा चलेगा। लिहाजा, तैयारियां भी वैसी ही की गई हैं।

Related Articles

Back to top button