एशियन गेम्स के लिए ट्रायल से क्यों बचना चाहते हैं पहलवान सुशील
नई दिल्ली : भारतीय रेसलिंग के इतिहास में हुए सबसे बड़े विवाद की यादें अभी धुंधली नहीं पड़ी होंगी, जब रियो ओलिंपिक 2016 में भागीदारी करने के लिए सुशील कुमार ने दिल्ली हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील का दावा था कि रियो में 74 किलोग्राम की कैटेगरी में भारत की नुमाइंदगी करने के लिए उनके और नरसिंह यादव के बीच में ट्रायल होना चाहिए और जो काबिल हो उसी को मौका मिलने चाहिए।अदालत में पहुंचे इस मामले में सुशील को कोई राहत तो नहीं मिली थी लेकिन उन्होंने मीडिया के जरिए अपने दावे को सही साबित करने के लिए कब सहानुभूति बटोरने की कोशिश की थी। दो साल बाद अब वहीं सुशील ट्रायल से बचने की कोशिश कर रहे हैं और प्रतियोगिता भी कोई छोटी-मोटी नहीं बल्कि एशियन गेम्स है। सुशील कुमार और दो और रेसलर्स ने रेसलिंग फेडरेशन आफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर एशियन गेम्स के लिए ट्रायल नहीं कराने की गुजारिश की है। इनका तर्क है कि ट्रायल होने से उनकी तैयारियों में खलल पड़ेगा जिससे अगस्त-सितंबर में जकार्ता में होने वाले एशियाड में उनका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है। फेडरेशन ने एशियन गेम्स के लिए 10 जून को सोनीपत में पुरुषों के और 17 जून के लखनऊ में महिलाओं के ट्रायल आयोजित कराने का फैसला किया है। अब सुशील, बजरंग पुनिया और महिला रेसलर विनेश फोगट की इस गुजारिश ने फेडरेशन को दुविधा में डाल दिया है। फेडरेशन को डर है कि अगर बिना ट्रायल के ही टीम चुन ली गई तो फिर मामला कोर्ट में जा सकता है। ठीक वैसे ही जैसे रियो ओलिंपिक के लिए सुशील कुमार ने फेडरेशन को कोर्ट में घसीटा था। ट्रायल को लेकर सुशील के साथ जुड़ा यह कोई नया विवाद नहीं है। रियो ओलिंपिक के लिए नरसिंह यादव के साथ हुए विवाद के अलावा इसी साल हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए हुए ट्रॉयल्स में भी रेसलर प्रवीन राणा के साथ हुई मारपीट में भी सुशील का नाम सामने आया था।