एसएटीआई की बीओजी से सिंधिया को हटाया, मंत्री जोशी होंगे नए चेयरमैन
विदिशा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा के बीच एसएटीआई में वर्चस्व को लेकर लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है। पूर्व सांसद शर्मा ने एक दिन पहले बुधवार को महाराजा जीवाजीराव एजुकेशन सोसायटी (एमजेईएस) की वार्षिक बैठक बुलाकर सिंधिया को बीओजी (बोर्ड ऑफ गवर्निंग) के चेयरमैन पद से हटा दिया।
उनके स्थान पर तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी को नया चेयरमैन बना दिया गया है। इसके अलावा सिंधिया के नजदीकी चार अन्य सदस्यों को भी कमेटी से बाहर कर दिया और मैनेजिंग सोसायटी से भी दो सदस्यों को निकाल दिया है। गुस्र्वार को उन्होंने इस निर्णय की जानकारी कॉलेज संचालक सहित अन्य पदाधिकारियों को दी।
गुस्र्वार दोपहर को पूर्व सांसद शर्मा बीओजी के नए सदस्यों के साथ एसएटीआई (सम्राट अशोक टेक्नीकल इंस्टीट्यूट) पहुंचे। यहां उन्होंने एमजेईएस की बैठक में लिए गए निर्णयों से डायरेक्टर को अवगत कराया।
इस दौरान उन्होंने बताया कि बुधवार को एमजेईएस के रजिस्टर्ड कार्यालय में वार्षिक बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें बीओजी के चेयरमेन सिंधिया के स्थान पर प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी को नया चेरयमेन घोषित किया है। वहीं पुराने सदस्य जस्टिस एनके मोदी, एलके अग्रवाल, रमेश अग्रवाल एवं लक्ष्मीकांत मरखेड़कर को हटाते हुए उनके स्थान पर विदिशा नपाध्यक्ष मुकेश टंडन, जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष श्यामसुंदर, अनुपम शर्मा भोपाल एवं डा. प्रीतमबाबू शर्मा को नया सदस्य नामित किया है।
इसी तरह एसएटीआई पालीटेक्निक की बीओजी में भी इन्ही सदस्यों को शामिल किया गया है। शर्मा के मुताबिक मैनेजिंग कमेटी से भी जस्टिस मोदी और पदेन तकनीकी शिक्षा मंत्री के स्थान पर नपा अध्यक्ष और जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष को नया सदस्य बनाया गया है। पूर्व सांसद ने इस बदलाव को कॉलेज की बेहतरी के लिए बड़ा कदम बताया।
उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा मंत्री के चेयरमैन बनने से सरकार से मिलने वाली ग्रांट में आ रही दिक्कतें दूर होंगी। मंत्री जोशी इससे पहले बीओजी में सदस्य थे। इस फैसले ने एसएटीआई में फिर टकराव बढ़ गया है। सूत्रों का कहना है कि बुधवार को ही दिल्ली में सिंधिया की अध्यक्षता में बीओजी की बैठक हुई थी, जिसमें शर्मा सहित अन्य सदस्य शामिल नहीं हुए।
पांच माह पहले पीएफ कटौती के आंदोलन से हुई थी विवाद की शुरुआत
मालूम हो कि इन दोनों के बीच पांच माह पहले टकराव की शुरुआत हुई थी। कर्मचारियों के पीएफ कटौती आंदोलन के दौरान पूर्व सांसद शर्मा ने सिंधिया द्वारा नियुक्त डायरेक्टर को हटाते हुए नया डायरेक्टर नियुक्त किया था। इससे गुस्साए सिंधिया ने शर्मा के पावर छीनते हुए इनके द्वारा नियुक्त नए डायरेक्टर को हटा दिया था। इसी के बाद सिंधिया और शर्मा में तनातनी चल रही थी। गुरुवार को एसएटीआई में हुए बदलाव ने इस टकराव को फिर आगे बढ़ा दिया है।