जेट एयरवेज को खड़ा करके उसे एक समय में भारतीय विमानन कंपनियों का सरताज बनाने वाले और फिर अर्श से फर्श पर लाने वाले नरेश गोयल की कहानी भी अपने आप में किसी फिल्म से कम नहीं है। दिल्ली से अपने करियर की शुरुआत करने वाले नरेश गोयल बाद में मुंबई में शिफ्ट हो गए थे। हालांकि यह केवल अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी से एक रुपये की लड़ाई हार गए, जिसका खामियाजा जेट के कर्मचारियों को भी भुगतना पड़ा।
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300 रुपये से शुरू की थी नौकरी
नरेश गोयल का जन्म पंजाब के पटियाला जिले में हुआ था। 1967 में नरेश गोयल दिल्ली आकर बस गए थे। बचपन से लेकर के जवानी तक नरेश गोयल का जीवन गरीबी में बिता था। तब दो वक्त के लिए रोटी की जुगाड़ करना भी उनके लिए काफी दिक्कत भरा होता था।
उनके मामा की कनॉट प्लेस में एक ट्रेवल एजेंसी हुआ करती थी। वहीं पर उन्होंने 300 रुपये के मासिक वेतन पर अपनी नौकरी शुरू की थी। वहां पर वो खाड़ी देशों की उड़ानों की टिकट बुक करने लगे थे।
1974 में शुरू की थी जेट एयर
नरेश गोयल ने 1974 में अपनी खुद की ट्रेवल एजेंसी जेट एयर को शुरू किया था। 1993 में ट्रेवल एजेंसी को बंद करने के बाद उन्होंने जेट एयरवेज की नींव रखी। तब उनके पास केवल दो बोइंग 737-300 विमान थे। इसका प्रयोग वो चार्टेड फ्लाइट के तौर पर देखते थे। 2002 में जेट एयरवेज ने मार्केट शेयर में एयर इंडिया को भी पीछे कर दिया।
सहारा को खरीदा, 2012 में बिगड़ने शुरू हुए हालात
जेट एयरवेज के हालात 2002 से लेकर के 2011 तक काफी सही थे। उसने इस बीच में शेयर मार्केट में आईपीओ लांच किया, वहीं सहारा एयरलाइन को 2250 करोड़ रुपये में खरीद लिया। इससे उसको 27 विमान, 12 फीसदी मार्केट शेयर और कई सारे अंतरराष्ट्रीय रूट भी मिले। हालांकि जुलाई 2012 में इंडिगो ने मार्केट शेयर में काफी बढ़ोतरी कर ली। इसी बीच 2013 में एतिहाद ने जेट एयरवेज में 24 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीद ली थी।
जेट को होने लगा नुकसान
इंडिगो से प्रतिस्पर्धा के चलते जेट एयरवेज को काफी नुकसान होने लगा था। जेट का किराया इंडिगो के मुकाबले एक रुपया प्रति किलोमीटर ज्यादा था। 2015 में जेट एयरवेज इंडिगो के सस्ते टिकट बेचने के ऑफर को बर्दाश्त नहीं कर पाई। जेट एयरवेज को इंडिगो के मुकाबले हर सीट पर प्रति किलोमीटर सिर्फ 50 पैसे ज्यादा कमाई हो रही थी।
बिगड़ने लगे हालात
कंपनी के बस इसके बाद से हालात काफी बिगड़ने लगे थे। नवंबर 2018 से लेकर के अब तक जेट एयरवेज का शेयर गिरता गया। कंपनी को नवंबर में तीसरी बार तिमाही नतीजों में नुकसान उठाना पड़ा। 22 नवंबर 218 को कंपनी स्वतंत्र निदेशक रंजन मथाई ने इस्तीफा दे दिया था। तब से ही कर्मचारियों को वेतन मिलने में देरी होने लगी थी।
इस साल की शुरुआत में कंपनी अपना लोन भी तय समय पर नहीं चुका पाई थी। गोयल ने एतिहाद से 750 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए कहा था। लेकिन इसके बाद भी बात नहीं बनी और 25 मार्च को जेट एयरवेज के चेयरमैन पद से नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता को इस्तीफा देना पड़ा।