नई दिल्ली: जमाअत इस्लामी हिन्द के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली वासियों और खासकर मुसलमानों की समस्याओं को लेकर उनका ध्यान आकर्षित कराया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने औरंगजेब रोड के नाम परिवर्तन पर अफसोस जाहिर किया।
वक्फ संपत्तियों से नाजायज कब्जे हटाने की मांग
जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर (अध्यक्ष) मौलाना जलालुद्दीन उमरी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाके बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। उर्दू स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के स्थान रिक्त हैं। इसी तरह वक़्फ के मामलों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि वक्फ की जायदादों से नाजायज कब्जों को हटाने के लिए सरकार कदम उठाए। वक्फ की 123 संपत्तियां, जो सरकारी कब्जे में हैं, को यूपीए ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को वापस करने का फैसला किया था। मौजूदा एनडीए सरकार ने उस पर फिर पाबंदी लगा दी है।
अज्ञानतावश सड़क के नाम परिवर्तन के फैसले को समर्थन
जमाअत के अमीर ने मुख्यमंत्री से कहा कि औरंगजेब रोड का नाम परिवर्तन करना सही नहीं था। इससे अच्छा संदेश नहीं गया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वैसे तो यह फैसला एनडीएमसी ने लिया है, लेकिन अज्ञानतावश हमने बिना जाने बूझे समर्थन दे दिया था इसका हमें अहसास है। लेकिन अब किसी रोड का नाम परिवर्तन करने का हम समर्थन नहीं करेंगे।’ उन्होंने मुख्यमंत्री को अनिवार्य निकाह पंजीकरण के दिल्ली सरकार के नियमों में मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत रजिस्ट्रेशन के बजाये स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन की बात पर ध्यान दिलाया। मुख्यमंत्री ने सभी समस्याओं पर सकारात्मक पहल करने का यकीन प्रतिनिधिमंडल को दिलाया।
शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता शिक्षा और स्वास्थ है। ‘आप हमें जमीन चिह्नित कराएं हम तुरंत स्कूल डिस्पेंसरी और अस्पताल खोल देंगे।’ प्रतिनिधिमंडल में जमाअत के दो उपाध्यक्ष नुसरत अली एवं सआदतुल्लाह हुसैनी, महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर, सचिव मोहम्मद अहमद, सहायक सचिव अतहर करीम किदवई और डॉक्टर कासिम रसूल इलियास के अलावा दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह भी शामिल थे।