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कई बीमारियों के लिये ‘रामबाण’ है पश्चिमोत्तनासन


पश्चिमोत्तनासन दो शब्दों से मिलकर बना है -‘पश्चिम’ का अर्थ होता है पीछे और ‘उत्तांन’ का अर्थ होता है तानना। इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर का पिछला भाग तन जाता है जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तनासन दिया गया है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक आसन है, विभिन्य प्रकार की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। पश्चिमोत्तनासन योग देखने में थोड़ा कठिन है, लेकिन धीर-धीरे अभ्यास करने पर इसको आप आसानी से कर सकते हैं। यहां पर इसको सरल रूप में कैसे किया जाये उसका विवरण दिया गया है
सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं।
पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें।
सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं।
फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके।
आप कोशिश करते हैं अपने हाथ से उँगलियों को पकड़ने का और नाक को घुटने से सटाने का। धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़े
और अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें।
धीरे धीरे इस की अवधि को बढ़ाते रहे।
यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।
पश्चिमोत्तानासन योग रीढ़ की हड्डी के लिए: यह आसन मेरुदंड को लचीला बनाता है और हमें बहुत रोगों से दूर करता हैं। पेट की चर्बी कम करनी हो तो इस आसन का नियमित अभ्यास करें। यह पेट को कम करने के साथ साथ कमर को पतला करने में भी मदद करता है। यह आसन वीर्य सम्बंधित परेशानियों को दूर करता है। नियमित अभ्यास से पेट की पेशियां मजबूत होती है जो पाचन से सम्बंधित परेशानियां जैसे कब्ज, अपच को दूर करने में सहायक है। पश्चिमोत्तनासन त्वचा रोगों की लिए काफी फायदेमंद है। साइटिका से सम्बंधित रोगों को दूर करता है। नियमित अभ्यास से तनाव में बहुत हद तक कण्ट्रोल पाया जा सकता है और साथ ही साथ क्रोध को दूर करते हुए मन को शांति एवम प्रसन्न रखता है। इस आसन को करने से गुस्सा नियंत्रित होता हैं| पश्चिमोत्तनासन के अभ्यास से आप गुर्दे की पथरी को रोक सकते हैं। इसके अभ्यास से आप उम्र की गति को धीमा कर सकते हैं। बवासीर में लाभकारी है। अनिद्रा, बौनापन से निजात मिल सकती है। इस आसन के अभ्यास से पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है जो चेहरे पर तेज लाता है, कमजोरी को दूर करता है। आपको तरोताजा रखते हुए मन को खुश रखता है। यह आसन महिलाओ के कई रोगों में भी लाभकारी है और महिलाओं के मासिक धर्म से सम्बन्धित सभी विकार के हल निकालने में कारगर है।
पश्चिमोत्तनासन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके पेट में अल्सर की शिकायत हो। ध्यान रहे, इस योग को हमेशा खाली पेट ही करनी चाहिए। शुरू में में इस आसन को करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इस आसन को झटके के साथ कभी भी न करें। अगर आपके आंत में सूजन हो तो इसका अभ्यास बिल्कुल न करें। कमर में तकलीफ हो तो इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस आसन के बाद भुजंगासन व शलभासन करने से कमर को राहत मिलती है।

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