कटनी कांड : राजनीति का बदरंग चेहरा
सरिता अरगरे
वैसे तो कटनी कहने को मध्यप्रदेश का एक छोटा जिला है, लेकिन इन दिनों उबल रहा है और यहां चल रहे जनान्दोलन के कारण प्रदेश की सियासत में भी गर्मी पैदा कर रहा है। मामला सच को दबाने और राजनीतिक संरक्षण का है। आज कांग्रेस कटनी के जिस मंत्री के खिलाफ खतो-किताबत कर रही है, वो कुछ साल पहले कांग्रेस में ही थे। कांग्रेस में रहते हुए उनके यही व्यवसाय थे। अब वे भाजपा रूपी गंगा में डुबकी लगा कर पवित्र हो चुके हैं। ऐसे दावे राजनीति करती है और करेगी। इस सारे मामले में गौरवशाली काम करने वाले पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी को जिले से इसलिए हटा दिया गया कि उनकी जांच में शक की सुई की दिशा सच की ओर थी। एस. के. मिनरल्स में हुए फर्जीवाड़े, बोगस खातों के जरिए हवाला कारोबार, उसमें सरागवी बंधुओं की भूमिका, डीडी कांड तथा शराब तस्करी की रोज उधड़ती परतों के बीच जिस तरह से अचानक कटनी एसपी गौरव तिवारी का तबादला कई सवाल छोड़ गया। अब कटनी जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के तबादले को लेकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर बड़ा हमला बोलते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने हवाला कारोबार में घिरे अपने एक मंत्री को बचाने के लिए पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे खत में कहा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को लागू की गई नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचारियों ने देशभर में कालेधन को सफेद करने का खेल जम कर खेला है। भाजपा के शासन वाले मध्य प्रदेश में भी इस तरह का गोरखधंधा जम कर फला और फूला है। इस तरह के कई प्रमाण सामने आए हैं।” श्री यादव ने अपने पत्र में कटनी में उजागर हुए हवाला कारोबार का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है, “कटनी जिले में पुलिस की शुरुआती जाँच में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का एक घोटाला सामने आया है।
बताया जाता है, पुलिस की जाँच में सामने आया है कि हवाला कारोबारियों, बैंक अफसरों की सांठगांठ से नोटबंदी के बाद कटनी में पुराने नोटों की अदला-बदली का बड़ा घोटाला हुआ। जाँच में कटनी पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी को यह प्रमाण मिल गए थे कि इस काले कारोबार के पीछे शिवराज सरकार का एक मंत्री है। इस पर पुलिस अधीक्षक श्री तिवारी पर दबाव बनाया गया। जब दबाव काम नहीं आया तो उनका तबादला कर दिया गया। हैरान करने वाली बात यह रही कि करीब साढ़े छह महीने पहले ही इस अधिकारी को कटनी में पदस्थ किया गया था। अब तर्क दिया जा रहा है कि पुलिस अधिकारी की काबिलियत को देख कर उन्हें छिंदवाड़ा जैसे बड़े जिले का दायित्व सौंपा गया है। मुख्यमंत्री का कहना तो यह भी है कि जरूरत पड़ने पर सरकार चाहे तो एक दिन में भी तबादला किया जा सकता है। अमूमन आईएएस, आईएफएस के तबादले से पहले यह मामला तबादला बोर्ड में जाता है, लेकिन आईपीएस में तबादला बोर्ड ही नहीं बना। लिहाजा गौरव तिवारी के मामले में सीधे सरकार ने निर्णय लिया। गौरतलब है कि कटनी एक्सिस बैंक की ब्रांच समेत कई बैंकों में फर्जी खातों से 500 करोड़ रुपए के हवाला लेन-देन की गौरव तिवारी जाँच कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे इस मामले की तह तक पहुँच गए थे। इसमें संजय पाठक और आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता की संलिप्तता मिली है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान भी निशाने पर हैं। संजय पाठक से उनके पुत्र के संबंध को लेकर उन्हें बार-बार सफाई देना पड़ रही है। इससे पहले कि मामले की परतें उखड़तीं, साफ़-सुथरी छवि का दम भरने वाली सरकार ने एसपी श्री तिवारी को हटा दिया।
चंद महीनों पहले कटनी में पदस्थ श्री तिवारी ने अपने कामकाज से आम लोगों में काफी लोकप्रियता हासिल की है। उनके तबादले के लिए संजय पाठक को जिम्मेदार माना जा रहा है। कटनी में गौरव तिवारी का स्थानांतरण निरस्त करने की माँग को लेकर आन्दोलन चल रहा है और इसकी आंच से प्रदेश की राजनीति में काफी गर्मी आ गई है। स्थानीय लोगों ने चरणबद्ध तरीके से आँदोलन छेड़ रखा है। विरोध के स्वर दिनोंदिन तेज और तीखे होते जा रहे हैं। कटनी में आक्रोशित जनता भारी संख्या में सड़कों पर उतर आई। इसमें बच्चों से लेकर स्कूल एवं कॉलेज के छात्र, मजदूर व विभिन्न संगठनों के लोग शामिल रहे। कई घंटे तक जुलूस एवं रैली होती रही। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी परमानन्द चतुर्वेदी के नेतृत्व में सैकड़ों रिटायर्ड फौजियों ने तख्ती हाथ में थाम कर रेस्ट हाउस से जुलूस निकाला एवं प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। साथ ही तबादला निरस्त करने की माँग की। शहर बंद कराने से लेकर रेल रोको आन्दोलन के जरिए लोगों ने अपने गुस्से का इजहार किया। कटनी शहर के साथ-साथ बड़वारा, विजयराघवगढ़, बरही, कैमोर, बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा, उमरियापान, रीठी, एवं स्लीमनाबाद में भी लोगों ने एसपी के पक्ष में आन्दोलन किए और ज्ञापन सौंपे। सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर पर लोगों ने सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना की। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और उनके पर्सनल ट्विटर एकाउंट पर विरोध दर्ज कराया।
विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का हाथ थाम कर सीधे मंत्री पद हासिल करने वाले संजय पाठक की घोषित संपत्ति करीब 141 करोड़ है। उनका इंडोनेशिया में भी कारोबार है। उनके पास अपना प्राइवेट हेलीकॉप्टर भी है। निर्मला मिनरल्स और आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन के नाम से उनकी खनन कंपनियाँ हैं। जबलपुर के समीप सीहोरा में अवैध खनन के आरोप भी उन पर लगे थे। उनकी लीज वर्ष 2007 में ही खत्म हो गई थी जबकि वे सन 2012 तक अवैध खनन करते रहे। सन 2009 और 2010 में उनकी कंपनी को 4,60,000 टन के खनन की इजाजत थी लेकिन 19,80,488 टन खनिज निकाला गया। 10 लाख टन से ज्यादा का अतिरिक्त खनिज निकाला गया जिसकी कीमत 5000 करोड़ से ज्यादा आँकी गई। संजय पाठक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण राज्यमंत्री हैं। तीन साल पहले मध्य प्रदेश की जनता ने वो दौर भी देखा जब खनन कारोबारी पाठक को बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता माइनिंग माफिया बताते घूमते थे। उनके पिता सत्येंद्र पाठक कांग्रेस सरकार के दौर में मंत्री थे। पिता की राजनीतिक विरासत सम्हालते ही पहले वे कांग्रेस से महापौर और फिर विधायक बने। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का दामन थामा और हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मंत्री बना दिया।
इस मामले में अब तक शिवराज सरकार के मंत्री संजय पाठक ही आरोपों के घेरे में थे, लेकिन अब काँग्रेस ने एक तस्वीर के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साधा है। तस्वीर में कटनी हवाला कांड का आरोपी सतीश सरावगी शिवराज सिंह और मंत्री संजय पाठक के साथ नजर आ रहा है। काँग्रेस ने पूछा है कि क्या कटनी हवाला कांड के आरोपी सतीश और मनीष सरावगी के संबंध संजय पाठक के साथ-साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी हैं। काँग्रेस ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान के बेटे पर भी हवाला व्यवसाय में शामिल होने का आरोप लगाया है।
कोयला कारोबारी सरावगी बंधुओं द्वारा किए गए 500 करोड़ के हवाला कारोबार की जाँच में जप्त किए गए बोरे में मिली फाइलों में मंत्री संजय पाठक की कंपनी आनंद माइनिंग कार्पोरेशन का भी नाम है। कटनी के सेल्स टैक्स विभाग में यह कंपनी मंत्री संजय पाठक और उनके पिता सत्येंद्र पाठक (अब दिवंगत) के नाम दर्ज है। यह पहली बार है जब हवाला कारोबार से जुड़े किसी दस्तावेजों में मंत्री का नाम सीधे तौर पर आ रहा है। अब तक वे इस मामले से किसी भी तरह का जुड़ाव होने से इंकार कर रहे थे। एस. के. मिनरल्स द्वारा 100 से ज्यादा बोगस खाते से 500 करोड़ का हवाला कारोबार की जाँच कर रहे तत्कालीन एसपी गौरव तिवारी ने 6 जनवरी 2017 की रात को एक लोडर पकड़ा था, जिसमें 26 बोरों में भर कर एस. के. मिनरल्स, सरावगी बंधुओं सहित 42 फर्मों की लगभग 500 फाइलें ले जाई जा रही थी। पुलिस को संदेह था कि हवाला कारोबार मामले से जुड़े इन फाइलों को गायब करने के लिए ले जाया जा रहा था। संदेह के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज कर इन फाइलों को जब्त कर लिया था। फाइलें जब्त होते ही मामले के जाँच अधिकारी कोतवाली टीआई एसपीएस बघेल को डायरी सहित भोपाल पुलिस मुख्यालय तलब कर लिया गया था। 3 दिन बाद 9 जनवरी 2017 को इस मामले का खुलासा करने वाले एसपी गौरव तिवारी का तबादला छिंदवाड़ा कर दिया गया। इससे मामला और संदिग्ध हो गया और मामले में आरोपी माने जा रहे सरावगी बंधुओं के साथ मंत्री पाठक का नाम जुड़ने लगा था। कटनी विकास मंच सहित 8 राजनीतिक और गैर राजनीतिक दलों ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है कि इन फाइलों में कद्दावर लोगों के नाम हैं, इसलिए जांच प्रभावित करने के लिए एसपी गौरव तिवारी का तबादला कर दिया गया, उनके स्थानांतरण को रद्द कर जांच करवाई जाए। फ़िलहाल एसपी के तबादले के बाद हवाला मामले की जाँच तो ठंडी पड़ गई है, लेकिन पुलिस ने इन बोरों में मिली फाइलों में से 42 फर्मों की सूची सेल्स टैक्स विभाग के सीटीओ वी. के. मिश्रा को दी थी।
एस. के. मिनरल्स फर्म बना कर गरीबों के नाम से खोले गए खातों से हवाला कारोबार के खुलासे के बाद कटनी विकास संघर्ष समिति, अवेकिंग संस्था और 6 राजनीतिक दलों ने मंत्री संजय पाठक के हवाला कारोबारियों से कनेक्शन के दस्तावेज जारी किए गए। इन दस्तावेजों के आधार पर बताया गया कि जिन 42 फर्मों के नाम से लेनदेन हुआ उसमें से कुछ फर्मों के संचालक मंत्री के फर्मों में भी संचालक हैं। इससे पहले इसी मामले में सरकारी गवाह बनाए गए संजय तिवारी की पत्नी पुष्पलता तिवारी ने भी मीडिया में मंत्री पाठक के इस मामले से जुड़े होने की बात कह कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी थी। हालांकि दूसरे दिन महिला अपने बयान से पलट गई थी। उधर, मंत्री संजय पाठक ने इस मामले में कहा कि जिन-जिन लोगों का नाम लेकर मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं उनसे मेरी जान पहचान है, लेकिन हवाला कारोबार से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। हाईकोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता राजेश सौरभ नायक ने मिनिस्ट्री ऑफ कामर्स की वेबसाइट से लिए गए दस्तावेजों के आधार पर ये खुलासे किए हैं। इस पूरे मसले में गंभीर प्रश्न देश-प्रदेश में चल रही मौजूदा सियासत पर उठता है। सवाल ये कि मंचों से राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले नेता व्यावहारिकता के धरातल पर इतने खोखले क्यों साबित हो जाते हैं। प्रश्न यहां यह है कि एक ही व्यक्ति जब आपके साथ है तो पवित्र दूसरे के साथ है तो त्याज्य। व्यवसाय करना अपराध नहीं है। गैरकानूनी, गैरवाजिब व्यापार करना या उसे प्रश्रय देना गलत है। कटनी जिले से उठी आवाज़ ईमानदार अफसरों के हक में उठी आवाज़ है। भाजपा और काँग्रेस इस मामले को तूल देकर राजनीति में उलझा सकती है। सच तो यह है कि पुलिस ने अपना काम किया है और राजनीति अडंगे डाल रही है। ईमानदारी को प्रोत्साहन देने वाली इस आवाज को बुलंद करने में सभी को भागीदारी करनी ही चाहिए।