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कबड्डी के इतिहास में 28 साल में पहली बार फाइनल में नहीं पहुंची भारतीय टीम

भारतीय पुरुष कबड्डी टीम गुरुवार को एशियाई खेलों में बड़े उलटफेर का शिकार हुई। यही नहीं, एशियाई खेलों में कबड्डी खेल के इतिहास का भी सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला। अजय ठाकुर के नेतृत्व वाली भारतीय टीम को सेमीफाइनल में ईरान के हाथों 18-27 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। एशियाई खेलों में यह पहला मौका है जब भारतीय पुरुष कबड्डी टीम गोल्ड मेडल की दौड़ से बाहर हुई है।

भारतीय पुरुष टीम 7 बार एशियाई खेलों में कबड्डी चैंपियन रही है। 2018 एशियाई खेलों के सेमीफाइनल में ईरान के सामने भारतीय टीम की एक न चली और वह गोल्ड मेडल की दौड़ से बाहर हो गई। अब फाइनल में ईरान का मुकाबला दक्षिण कोरिया से होगा, जिसने पाकिस्तान को एक अन्य सेमीफाइनल में मात दी थी। वहीं भारतीय टीम और पाकिस्तान के बीच ब्रॉन्ज मेडल के लिए जोरदार लड़ाई होगी।
बता दें कि एशियाई खेलों में कबड्डी को 1990 में शामिल किया गया था। भारतीय पुरुष टीम ने हमेशा गोल्ड मेडल जीता है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। ईरानी डिफेंस के सामने भारतीय रेडर कोई कमाल नहीं बिखेर सके। कप्तान अजय ठाकुर मैच के दौरान चोटिल भी हुए। उनके सिर से खून बह रहा था।
भारत और ईरान के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद थी और हुआ भी ऐसा ही। दोनों ही टीमों के रेडर्स को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी। हाफ टाइम तक भारत और ईरान 9-9 की बराबरी पर थे। ईरान के डिफेंस का नेतृत्व अबोजर मेघानी ने किया। उन्होंने भारतीय टीम के लिए मुकाबला एक पल के लिए भी आसान नहीं बनने दिया।
वहीं भारत के स्टार रेडर्स को अंक हासिल करने का मौका नहीं मिला। ईरान के खिलाड़ियों का जोश भी देखते ही बनता था। हर एक अंक हासिल करने के बाद पूरी टीम जोश से भर जाती थी। फजल अत्राचली के मजबूत कंधों के सामने भारत की कई रेड फीकी पड़ी।
दूसरे हाफ में ईरान की टीम गत चैंपियन पर पूरी तरह हावी रही। ईरान ने रेड से भी अंक हासिल किए और डिफेंस में वह बेहद ही मजबूत थी। भारतीय रेडर्स दूसरे हाफ में पूरी तरह बेअसर दिखे। यही नहीं, भारतीय टीम का डिफेंस भी ईरानी रेडर्स को रोकने में कामयाब नहीं हुआ। पहला हाफ 9-9 की बराबरी पर रहने के बाद दूसरे हाफ में ईरान 18 अंक अर्जित किए। वहीं भारतीय टीम सिर्फ 8 अंक हासिल कर सकी।