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कभी पत्नी के साथ रोड पर बेचा करते थे लिट्टी चोखा, आज बन गया है सुपरस्टार
कहते हैं कि नेक इरादों वाले मेहनतकश लोगों को सफलता मिल कर ही रहती है। दुनिया में ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जिनके संघर्ष की कहानियां हमें हौसला देती हैं। बिजनेस वर्ल्ड से लेकर बॉलीवुड तक के लोगों के सफर की कहानियां हमनें पढ़ी। आज आपको भोजपुरी फिल्मों के एक ऐसे स्टार की कहानी बताते हैं। जिसका सफर अपने आप में किसी फिल्म से कम नहीं है।
ये है वो कलाकार
यहां बात हो रही है भोजपुरी फिल्मों के नए सुपरस्टार और सिंगर खेसारी लाल यादव की। खेसारी, आज जिस मुकाम पर बैठे हैं, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया। एक कार्यक्रम के दौरान खेसारी ने खुद बताया कि 10 साल पहले वह बिहार के छपरा में दूध बेचा करते थे। उस वक्त उनके सपने में भी हीरो-हिरोइन नहीं आते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि 10 सालों में उन्होंने दिन दुनी और रात चौगुनी सफलता अर्जित की।
बीएसएफ में हुआ चयन
खेसारी बताते हैं कि मेरा सेलेक्शन बीएसएफ में हो गया था। परिवार वाले मिठाई बांट रहे थे और गांव में चारों तरफ तारीफ हो रही थी। लेकिन खेसारी के मन में गायक बनने का जुनून सवार था। नौकरी ज्वाइन की और यहीं से बदल गया रास्ता…
दिल्ली पहुंचे
बीएसएफ की नौकरी में खेसारी का दिल नहीं लगता था, लिहाजा चुपचाप इस्तीफा दिया और दिल्ली का टिकट कटा लिया। यह सोचकर कि दिल्ली में चलकर अपनी अल्बम निकालेंगे। लेकिन कहते हैं न, दिल्ली दिखती दिलकश हैं लेकिन यहां की राहें कांटों भरी हैं। दिल्ली पहुंचकर छोटी से लेकर बड़ी कंपनियों तक के चक्कर काटे लेकिन सिवाय दिलासे के कुछ भी नहीं मिला।
लगाई लिट्टी चोखा की दुकान
दिल्ली में चक्कर काटने के बाद खेसारी को दिव्यज्ञान मिला कि बिना पैसों के अपनी अल्बम निकालना संभव नहीं है। इसलिए दिल्ली में रहकर पैसे कमाने पड़ेंगे। इसलिए दिल्ली के ओखला में पत्नी के साथ लिट्टी चोखा की ठेला-गाड़ी लगानी शुरू की। 12 हजार रुपये जमा किए और पहुंच गए अपनी एल्बम की रिकॉर्डिंग कराने। खेसारी बताते हैं कि अपनी दुकान पर वो लोगों को लिट्टी चोखा के साथ गाने भी सुनाते थे।
ऐसे शुरू हुआ सफलता का सफर
खेसारी की पहली एल्बम ‘माल भेटाइ मेला’ को लोगों ने खूब पसंद किया। इसके बाद लोग खेसारी को जानने लगे। धीरे-धीरे 2011 में उन्हें पहली फिल्म साजन चले ससुराल में काम मिला। जिसने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इसके बाद खेसारी लाल यादव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब तक वो 50 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं।
बारात में लड़की के कपड़े पहनकर किया था डांस
जमीन से जुड़े खेसारी अपने गरीबी के दिनों के बारे में बात करते हुए हिचकिचाते नहीं हैं। नोएडा के एक कार्यक्रम में शामिल हुए खेसारी ने बताया कि उनके पिता चना बेचा करते थे और वह बेहद गरीब थे। सात भाईयों वाले परिवार में खेसारी ने अपना खर्चा चलाने के लिए बारात में लड़की बनकर डांस भी किया है।
बेटी को मानते हैं लक्की चार्म
खेसारी कहते हैं कि घर में बेटी नहीं लक्ष्मी ने जन्म लिया है। जब से पैदा हुआ है तब से सारी कठिनाइयां खत्म हो गई। बेटी के बाद मेहनत रंग लाने लगी। इसलिए हर साल अपनी बेटी का जन्म दिन धूमधाम से मनाते हैं।