कभी स्कूल नहीं गई लडकी, लेकिन अब 12 साल की उम्र में…
कहते है कि पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती है। पढाई करने के लिए जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत एक लड़की पर बिल्कुल सही साबित होती है। लेकिन उससे भी अलग बात यह है कि बिना स्कूल गए सीधा बोर्ड एग्जाम की परीक्षा दे यह हैरान कर देने वाला मामला है। दरअसल, हमारे देश में नीची कक्षाओं में दाखिले से लेकर बोर्ड एग्जाम, वोट देने की उम्र, यहां तक की शादी के लिए भी न्यूनतम उम्र तय की गई है। लेकिन कुछ मामलों में इनमें छूट भी मिलती है। ऐसा ही एक मामला बंगाल में सामने आया है जो सबका ध्यान खींच रहा है। पश्चिम बंगाल के हावडा की सैफा खातून बिना स्कूल गए महज 12 साल की उम्र में अगले साल 10वीं की परीक्षा में बैठने वाली है। जी हां, वैसे तो बोर्ड एग्जाम की न्यूनतम आयु 14 साल निर्धारित है। लेकिन सैफा ने वेस्ट बेंगॉल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के द्वारा एक्सटर्नल कैंडिडेट्स का इलिजिबिलिटी टेस्ट पास किया था। इस परीक्षा में सैफा ने 52 फीसदी अंक हासिल किए थे। इसी आधार पर सैफा को 2019 में होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है। ऐसे मामले बडे अंतराल के बाद देखने को मिल रहे हैं जिससे बोर्ड मेंबर भी हैरान हैं। बंगाल बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमोय गांगुली कहते हैं कि ‘साल 1991 के बाद किसी एक्सटर्नल कैंडिडेट को ऐसी अनुमति मिली है। सैफा के पिता मोहम्मद ऐनुल ने साल 2019 के लिए अनुमति मांगी है। सैफा ने टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन किया है जो कि कभी स्कूल नहीं गई है।’ पिछले साल अगस्त्य जायसवाल ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा महज 11 साल में पास की थी। ऐसे मामलों को प्रोत्साहित तो नहीं किया जाता लेकिन अपवाद स्वरूप मौके दिए जाते हैं।