राष्ट्रीय

“कमांडो” ट्रेनिंग देखकर सन्न रह जाओगे, अपनी ताकत से ऐसे उड़ाते आतंकियों की धज्जिया

आज हम आपको NSG कमांडो की ट्रेनिंग प्रक्रिया बताएँगे जिससे आप समझ पाएंगे की इनमे किस प्रकार की ऊर्जा साहस विकसित किया जाता हैं ?
 
 
कमांडो को “ब्लैक केट” भी कहते हैं क्योकि इनकी ड्रेस काली जबकि बिल्ली जैसी चंचलता-चपलता पायी जाती हैं, पुलिस, पैरामिलिट्री और आर्मी के जवान ही कमांडो के लिए चुने जाते हैं आपको बता दे की आर्मी के जवानो को 3 साल जबकि पैरा मिलिट्री के जवानो को 5 साल के लिए कमांडो की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती हैं। 
 
 
इस कमांडो ट्रेनिंग में जाने से पहले जवानो को फिजिकल और लिखित टेस्ट देना होता हैं लेकिन इसमें उम्र का विशेष महत्व होता हैं इसलिए कोई भी जवान 35 की उम्र से ज्यादा नहीं होता शुरु में इनकी फिटनेस लेवल 40 से 50 % रहती हैं लेकिन ट्रैनिग के बाद इनमे फिटनेस लेवल बढ़कर 85 से 90 % हो जाता हैं। 
 
 
इस ट्रेनिंग में जिग जैग रन यानि मुश्किल परस्तिथि में तुरंत प्रभाव दिखाना, लॉग एक्सरसाइज, स्प्रिंग दौड़ 60 मीटर और 100 मीटर की जिसमे 11 से 15 सेकंड का समय दिया जाता हैं लेकिन इस दौड़ को कठिन बनाने के लिए भारी बैग या फिर कुछ चीज कमांडो पर रख दी जाती हैं। 
 
 
हाई बैलेंस की दौड़ जबकि जवानो को 5 km दौड़ को 25 मिनट में जबकि 2.5 km दौड़ को करने के लिए 9 मिनट का समय दिया जाता हैं। 
 
 
पैरलल रोप के माध्यम से कमांडो के शरीर को जबरदस्त मजबूत बनाया जाता हैं जबकि स्पाइडर वेबनेट सिखाया जाता हैं जिससे ऊपर चढ़ना और फिर दूसरी ओर से नीचे उतरना सिखाया जाता हैं साथ में हाथो को इससे मजबूती मिलती हैं। 
 
 
कमांडो को 25 मीटर ऊंचाई पर चढ़ना जबकि 65 मीटर पहाड़ी पर चढ़ाई की प्रैक्टिस कराई जाती हैं जवकि आसमान से किसी गुप्त जगह घुसने की ट्रैनिग भी दी जाती हैं इसके अलावा बिना हथियार के आतंकी को मार गिराने वाले कई पैतरे कमांडो को सिखाये जाते हैं। 
 
 

Related Articles

Back to top button