कराची की सेंट्रल जेल में शफकत हुसैन को दी गई फांसी
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2015/08/safa.jpg)
कराची। मानवाधिकार संगठनों के विरोध के बावजूद अपहरण और हत्या के दोषी शफकत हुसैन को मंगलवार सुबह कराची की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। एक साल में चार बार उसकी फांसी टाली गई थी। शफकत को सात के बच्चे के अपहरण और हत्या के जुर्म में 2004 में गिरफ्तार किया गया था।देश की सभी अदालतों ने शफकत की क्षमा याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद उसके वकील ने गिरफ्तारी के समय उसके नाबालिग होने का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।शफकत हुसैन की फांसी पर चौथी बार लगी रोकशफकत हुसैन पर रहस्य बरकरार, मालूम नहीं किसने रुकवाई फांसीसोशल और मेनस्ट्रीम मीडिया में शफकत को फांसी की सजा सुनाए जाने का काफी विरोध हो रहा था। एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने उसकी फांसी रोकने के लिए सरकार से अपील की थी।गौरतलब है कि 14 जनवरी को शफकत को फांसी दी जानी थी, लेकिन आखिरी समय पर पाकिस्तान के गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने इसे रोकने और जांच का आदेश दिया था। इसके बाद 19 मार्च को भी उसे सजा दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले ही फांसी पर 72 घंटे और बाद में 30 दिन की रोक लगा दी गई। 24 अप्रैल को तीसरी बार शफकत को फांसी दिए जाने की तारीख तय हुई, लेकिन फेडरल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी की जांच के कारण यह रोकनी पड़ी। फांसी की अगली तारीख 6 मई तय हुई, लेकिन एक दिन पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान की याचिका पर फैसला आने तक सजा पर स्टे लगा दिया। उसकी उम्र को लेकर तमाम विवादों को दरकिनार करते हुए कराची की आतंकवाद निरोधक अदालत ने नौ जून को उसे फांसी पर चढ़ाने का आदेश दिया था।शफकत हुसैन के वकीलों का कहना है कि जब 2004 में उसे हत्या का आरोपी बनाया गया था, तब उसकी उम्र 14 साल थी। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले को दोषपूर्ण बताते हुए इसकी आलोचना की थी। हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जुर्म के वक्त वो अवयस्क था।पिछले साल दिसंबर में पेशावर आर्मी स्कूल पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार ने मौत की सजा पर लगी रोक हटा दी थी। पिछले दो महीनों में पाकिस्तान में कई आतंकियों को फांसी पर लटकाया गया है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान दुनिया का नंबर एक देश है, जहां फांसी के सबसे ज्यादा लंबित मामले हैं। यहां 8,000 लोग फांसी की सजा का इंतजार कर रहे हैं।