क्या कभी आपने सोचा है कि किसी कंपनी में काम करने वाले पियोन या सिक्यूरिटी गार्ड्स करोड़पति होंगे। कोई ऐसा कहे तो एक बार तो आप इसे मज़ाक समझेंगे। लेकिन ये वास्तव में सच है। चौंकाने वाली बात तो ये है कि ऐसा अजीबो-गरीब मामला कहीं विदेश में नहीं बल्कि हिदुस्तान में ही है।
गुजरात का साणंद एक ऐसी जगह है, जहां कंपनियों में काम करने वाले मजदूर, चपरासी और सिक्योरिटी गार्ड्स तक करोड़पति हो गए हैं। ऐसा भी नहीं है कि इन्हें काफी ज्यादा वेतन मिलता है, बल्कि इनके मालामाल होने की वजह दूसरी है।
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में गुजरात सरकार ने चार हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। इसके बदले जमीन के मालिकों को करोड़ों रुपए का मुआवजा मिला है। अचानक किस्मत खुलने के बावजूद कई लोग कंपनियों में मशीन ऑपरेटर्स, फ्लोर सुपरवाइजर्स, सिक्यॉरिटी गार्ड और यहां तक कि चपरासी का काम कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि रविराज फोइल्स लिमिटेड कंपनी में काम करने वाले 300 कर्मचारियों में से करीब 150 कर्मचारियों का बैंक बैलेंस एक करोड़ रुपए या अधिक है। इसके बावजूद ये करोड़पति लोग 9 हजार से 20 हजार रुपए मासिक की नौकरी कर रहे हैं। हालांकि, कंपनियों में कर्मचारियों को रोके रखना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अब उनकी आय का एक मात्र साधन नौकरी नहीं है।
दरअसल, 2008 में पश्चिम बंगाल के सिंगूर से जब टाटा मोटर्स ने यहां अपना प्लांट लगाया था, तब से साणंद औद्योगीकरण का बड़ा हब बनकर उभरा है। जीआईडीसी के तहत यहां 200 छोटी-बड़ी कंपनियों के यूनिट स्थापित किए गए हैं। जिन लोगों को भूमि अधिग्रहण के बदले में मोटी रकम मिली है, उन्होंने इसे सोने, बैंक डिपॉजिट्स आदि में निवेश कर रखा है।
टाटा का प्लांट आने से पहले यहां सिर्फ दो बैंकों की नौ शाखाएं ही थीं, जिनमें करीब 104 करोड़ रुपए जमा रहता था। अब बीते कुछ सालों से यहां 25 बैंकों की 56 शाखाएं हैं, जिनमें कुल जमा तीन हजार करोड़ रुपए है।
साणंद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सेक्रटरी शैलेश कहते हैं कि रातों-रात करोड़पति होने के बाद कई कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ना शुरू कर दिया था। जैसे-तैसे कई कर्मचारियों को वापस लाया गया, जिससे काम शुरू हो सका।