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कर्ज में पूरी तरह डूबे मालदीव ने भारत से मांगी मदद

मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने बताया कि अभी भी उनकी सरकार पिछली अब्दुल्ला यमीन सरकार द्वारा लिए गए लोन का अध्ययन करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि विदेशी लोन पर सरकारी अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़े पर्याप्त नहीं थे, इनका चीनी डेटा के साथ मिलान किया जाएगा। मालदीव को अपने कुल बाहरी लोन का 70 फीसदी चीन को देना है। गौरतलब है कि मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद भारत दौरे पर हैं।

अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान आज वह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे। बढ़ते विदेशी कर्ज का सामना कर रहे मालदीव के साथ कुछ लोन समझौते हो सकते हैं, मालदीव अपने विकास की जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए भारत की तरफ से ज्यादा बजट समर्थन की उम्मीद कर रहा है। अब्दुल्ला ने कहा कि हम जिन मूलभूत जरूरतों को लेकर चिंतित हैं जिनमें ताजे पानी की कमी, सीवरेज और हेल्थ सेक्टर जैसे मुद्दे हैं, उनमें भारत पूरी तरह से हमारी मदद कर सकता है। हम आशा करते हैं कि हमारे किसी भी तरह की परेशानी में पड़ने की स्थिति में भारत उदार रुख अपनाते हुए, उससे उबरने में हमारी मदद करेगा।

इस सिलसिले में आज शाहिद सुषमा स्वराज से बात करेंगे। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। उनकी यात्रा अगले महीने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सालेह की यात्रा से ठीक पहले हो रही है। मालदीव की लोन समस्या के बारे में शाहिद ने कहा कि यमीन सरकार ने राज्य उद्यमों के लिए गारंटी नहीं दी है, जो बड़े कर्ज लिए गए उनके प्रोजेक्ट पर भी काम नहीं हुआ। यमीन सरकार ने अनुदान का एक हिस्सा अपनी जेब में रखा और सॉफ्ट लोन पर कमीशन भी लिया। हाल ही में चीन-मालदीव मैत्री ब्रिज का उद्घाटन हुआ था मालदीव की नई सरकार इसकी लागत में हुई बढ़ोतरी का भी अध्ययन कर रही है। गौरतलब है कि मालदीव में इस समय भारत के समर्थक माने जाने वाले नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह की सरकार है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गए थे। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने दावा किया है कि देश पर चीन का कर्ज 3.2 अरब डॉलर (करीब 22,611 करोड़ रुपये) है।

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