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कर्नाटक का एक गांव जो नदी के बहुत करीब है लेकिन पानी से बहुत दूर….

एजेन्सी/  karnataka-water_650x400_81459023742मांड्या: इरम्मा का घर कर्नाटक में कावेरी नदी और केआरएस बांध के पास है, इसके बावजूद उसे अपने छोटे से बच्चे के साथ पानी लेने के लिए दिन में चार बार पंप पर जाना पड़ता है।  एनडीटीवी से बात करते हुए इरम्मा कहती हैं ‘हम यहां पंप पर दिन में तीन चार बार पानी लेने आते हैं। पानी ठीक से नहीं आता। काफी इंतज़ार के बाद हमारे मटके भर पाते हैं।’

मंड्या जिले के महादेवपुरा गांव में लोगों ने  बहुत जल्द पानी का महत्व समझ लिया था। कावेरी के पास रहने के बावजूद बांध का पानी यहां के गांव वालों को नहीं बैंगलुरू, मंड्या और मैसूर जैसे शहरों में पहुंचाया जाता है। ऐसे वक्त में जब पूरा राज्य ही पानी की किल्लत से जूझ रहा है, हालात और गंभीर हो जाते हैं।

कभी आता तो कभी जाता पानी
यहां रहने वाले माडे गोवड़ा कहते हैं नदी तो यहीं है लेकिन पानी की दिक्कत तो बनी हुई है। लोग साइकिल और स्कूटर पर पानी लेकर जाते हैं, नदी के पास रहने का हमें कोई फायदा नहीं है। बदहाली के वक्त लोग यहां एक दूसरे के साथ खड़े मिलते हैं। ननजे गोवड़ा की निजी ज़मीन पर बोरवेल है लेकिन वह महादेवपुरा के सभी वासियों को पानी ले जाने देते हैं। गोवड़ा बताते हैं कभी कभी दिन में दो हज़ार लोग आते हैं। पानी कभी भी आने लगता है और कभी भी रुक जाता है।

गोवड़ा के बेटे रामलिंगा कहते हैं ‘हम चुप रहकर लोगों की दिक्कतें नहीं देख सकते हैं। पानी बहुत ही कम है। कभी कभी तो हमें भी कम ही पानी से गुज़ारा करना पड़ता है।’ पिछले साल पीने के पानी के लिए टैंकर बुलाने पड़ गए थे। इस साल अभी तक बोलवेल से गुज़ारा करना पड़ रहा है। कावेरी नदी के पास रहने के बावजूद इन लोगों को पानी तक पहुंचने के लिए 300 फीट तक की गहराई तक गढ्ढे खोदने पड़ रहे हैं।

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