कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं येदियुरप्पा
नई दिल्ली: कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन तय हो जाने के बाद भाजपा नेतृत्व को अब मौजूदा मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय पर अपनी पर अपनी पकड़ बरकरार रखना चाहते हैं। यही वजह है कि उनके बेटे और प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष वाय बी विजयेंद्र ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। भाजपा नेतृत्व येदियुरप्पा की जगह लिंगायत समुदाय से आने वाले नए नेता को चुनना चाहता है, हालांकि येदुरप्पा वोक्कालिगा समुदाय के नेता के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं जो कि राज्य का दूसरा सबसे प्रभावी समुदाय माना जाता है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय भाजपा को समर्थन देने वाला सबसे बड़ा समुदाय है। यह समुदाय राज्य का सबसे प्रभावी समुदाय भी है।
ऐसे में भाजपा इस समुदाय के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद इसी समुदाय के दूसरे नेता को इस पद पर लाना चाहता है, ताकि लिंगायतों में उसकी पकड़ बरकरार रह सके। साथ ही लिंगायत समुदाय उससे नाराज भी न हो। सूत्रों के अनुसार दूसरी तरफ येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय पर अपनी पकड़ बनाए रखने और भविष्य में अपने बेटे को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व परिवर्तन में लिंगायत के बजाय वोक्कलिगा समुदाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं। गौरतलब है कि पूर्व में जब येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था तब उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर वोक्कलिगा समुदाय के प्रमुख नेता सदानंद गौड़ा को चुना था। हालांकि भाजपा के सामने जातीय जकड़न से बाहर निकलने का भी एक विकल्प है और वह लिंगायत और वोक्कलिगा समुदाय से हटकर किसी ब्राह्मण को भी इस पद पर बिठा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी कर्नाटक से ही आते हैं।
इसलिए नये मुख्यमंत्री के चयन में संघ की भी अहम भूमिका होगी। सूत्रों के अनुसार अगले एक-दो दिन में भाजपा और संघ का शीर्ष नेतृत्व कर्नाटक का मसला सुलझा सकता है। माना जा रहा है कि संघ भी लिंगायत समुदाय के नेता को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में है। केंद्रीय कोयला, खनन और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व ने उनसे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा का स्थान लेने के बारे में कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि केवल मीडिया ही इस बारे में बात कर रहा है। जैसा कि येदियुरप्पा ने घोषणा की थी कि वह 25 जुलाई को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का पालन करेंगे। जोशी ने हालांकि कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि केन्द्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा से इस्तीफा देने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक येदियुरप्पा का मुख्यमंत्री का पद छोड़ना तय माना जा रहा है।
जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि किसी ने मुझसे इस बारे में बात नहीं की है। केवल मीडिया ही इस बारे में बात कर रहा है। चूंकि मुझसे इस बारे में किसी ने कोई बात नहीं की है, इसलिए इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूछे जाने पर कि यदि उन्हें कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो क्या होगा, केंद्रीय मंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं कभी भी ‘यदि’ और ‘लेकिन’ शब्दों वाले काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं देता। मैं ऐसे सवालों का जवाब नहीं देना चाहता। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा नेतृत्व के अलावा ‘सर्वोच्च नेता’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ही इस बारे में फैसला करेंगे।