कर्नाटक में येदियुरप्पा की विदाई तय!
कर्नाटक में मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की जगह नए नेता की तलाश के लिए भाजपा आलाकमान को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। राज्य की जातीय समीकरणों की राजनीति में भाजपा सभी सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है। येदियुरप्पा मजबूत माने जाने वाले लिंगायत समुदाय से आते हैं। इस बीच येदियुरप्पा ने कहा है कि 26 जुलाई को उनके मौजूदा कार्यकाल के दो साल पूरे हो रहे हैं और इसके बाद आलाकमान के जो भी निर्देश होंगे उनका पालन करेंगे।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री के पद छोड़ने के साफ संकेत देने के बाद भाजपा नेतृत्व पर अब जल्द से जल्द नए नेता का चयन करना चुनौती बन गया है। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं जो राज्य का सबसे बड़ा व प्रभावी समुदाय है। राज्य का दूसरा प्रभावी समुदाय वोकलिग्गा है। लगभग आधा दर्जन प्रमुख नेताओं के नाम भावी नेता के लिए चर्चा में हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने अभी स्थिति साफ नहीं की है। यह भी लगभग तय है कि येदियुरप्पा के बेटे व राज्य भाजपा के उपाध्यक्ष बी वाय विजेंद्र भले ही मुख्यमंत्री नहीं बने, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन के बाद उनकी अहम भूमिका होगी।
बीते दिनों येदियुरप्पा को दिल्ली बुलाकर भाजपा नेतृत्व ने उनको पद छोड़ने के लिए तैयार कर लिया था। सूत्रों के अनुसार, येदियुरप्पा ने कुछ शर्ते भी रखी थी। हालांकि भाजपा के सामने सबसे बड़ी दिक्कत नए नेता के चुनाव की है। इस बीच येदियुरप्पा ने भावी बदलाव पर स्थिति साफ करते हुए कहा है कि 26 जुलाई को उनकी सरकार के दो साल पूरे हो रहे हैं। सरकार के दो साल पूरे होने के सिलसिले में 26 जुलाई को हमारा एक खास कार्यक्रम है। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों का पालन करेंगे।
लिंगायत समुदाय के नेता 78 वर्षीय नेता येदियुरप्पा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का उनके प्रति विशेष स्नेह एवं विश्वास है। उन लोगों को कोई पद नहीं दिया जाता जिनकी उम्र 75 साल से अधिक हो गयी है लेकिन मेरे काम की सराहना करते हुए उन्होंने 78 वर्ष की आयु पार करने के बावजूद मौका दिया। येदियुरप्पा ने कहा कि उनका इरादा आने वाले दिनों में पार्टी को मजबूत करना और उसे फिर से सत्ता में लाना है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से किसी भी भ्रम में न रहने और उनके साथ सहयोग करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी उनके पक्ष में कोई बयान न दें या किसी तरह के प्रदर्शन में शामिल न हों। यह उचित नहीं है, वह ऐसी चीजों में शामिल हुए बगैर सहयोग की अपील कर रहे हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न समुदायों के सैकड़ों धार्मिक नेताओं ने उनको आशीर्वाद दिया है और अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वह पूरे जीवन इसे नहीं भूल सकते। पहले कभी किसी को इतना समर्थन नहीं मिला। उनके आशीर्वाद से वह आलाकमान के फैसले के अनुसार काम करेंगे। गौरतलब है कि वीरशैव-लिंगायत समुदाय के नेता और धर्माध्यक्ष, अखिल भारतीय वीरशैव महासभा ने येदियुरपा को समर्थन देने की घोषणा की है और उनसे मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का अनुरोध किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर उन्हें हटाया गया तो भाजपा को खराब नतीजे भुगतने पड़ेंगे।