कलेक्टर के एक साइन के लिए पिता ने की ठेरों मसक्कत, आज बेटी खुद बन गई कलेक्टर
कहते है कि कुछ करने का जूनून हो तो हर राह आसान हो जाती है . बस इरादों में दम होनी चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है और आपके हौंसलों के आगे हर मुशिकल राह हो जाती है. इंसान के इरादे और हौसलें ही उसकी ताकत होती है अगर दुनिया से अलग करने की इच्छा है तो फिर आपको सपने खुली आँखों से देखने की जरूरत है और इसके बाद होता क्या है आपकी कमजोरी भी आपके इरादों के सामने अपने घुटने टेक देती है . बस सिर्फ आपकों अपने सपने को एक दिशा देने की जरूत है और बड़ी से बड़ी कामयाबी भी फिर आपको आसानी से मिल जाएँगी. और इस बात को सबित किया है.
महाराष्ट्र की रोहिणी भाजीभाकरे ने जिसने नौ साल की उम्र में अपनी पिता की परेशानी देखकर ठाना था की अब किसी का पिता इस परेशानी ने नहीं गुजरना पड़ेगा. और इस आज वह लड़की IAS ऑफिसर बन गई है .
दरअसल आज से कुछ साल पहले महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में रोहिणी भाजीभाकरे के पिता को जिला कलेक्टर के कुछ सरकारी घोषणा के दस्तावेजों पर दस्तखत लेने के लिए काफी परेशानियों का समाना करना पड़ा था और उसी वक्त अपने पिता की परेशानी को देखकर रोहिणी ने कलेक्टर बनने की प्रतिज्ञा ले ली थी.
आज नौ साल की उम्र में पिता से किया गया वादा महाराष्ट्र की रोहिणी भाजीभाकरे ने 23 साल बाद आइएएस अधिकारी बनकर पूरा किया है और आज तमिलनाडु के सलेम जिले की पहली महिला कलेक्टर बन गई. इतना ही नही कलेक्टर रोहिणी की प्रशासनिक कार्यों की प्रशंसा आज पूरे प्रदेश में चर्चा हो रही है है.
पुरानी बातों को याद कर रोहणी बताती हैं कि ‘मेरे पिताजी की कठिनाई को देखते हुए मैं एक सरकारी नौकर बनने और सार्वजनिक सेवा पर ध्यान देने के लिए प्रेरित हुई. इतना ही नही उन्होंने बताया कि जब मैंने उन्हें बताया कि मैं कलक्टर बनना चाहती हूं तो उन्होंने बोला कि मेरी सलाह है कि तुम जब एक कलक्टर बन जाओ तो यह सुनिश्चित करना कि तुम हमेशा लोगों को पहले रखो. वही वजह है कि रोहणी आज सरकारी नौकर बन गई है. इतना ही नही आज वह स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे समस्यों से लोगों को अवगत करा रही है.