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कश्मीरी पंडितों के कसाई’ बिट्टा कराटे को फिर कटघरे में पहुंचाने की तैयारी शुरू

जम्मू कश्मीर में तनाव को हवा देने के लिए हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तानी फंडिंग से जुड़े आजतक के खुलासे पर कदम उठाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अलगाववादी नेता बिट्टा कराटे और गाज़ी बाबा को पूछताछ के लिए किसी अज्ञात जगह पर ले गई है.कश्मीरी पंडितों के कसाई' बिट्टा कराटे को फिर कटघरे में पहुंचाने की तैयारी शुरूनरेंद्र मोदी सरकार ने चरमपंथी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंटे के नेता फारुख अहमद दार उर्फ बिट्टा कराटे के खिलाफ केस फिर से खोलने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय से ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ के नाम से कुख्यात कराटे की रिहाई की दोबारा जांच की मांग की है.

गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि सरकार कश्मीर पंडितों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस मामले की दोबारा जांच की जाएगी. सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वे सुप्रीम कोर्ट में बिट्टा की रिहाई के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना भी तलाश रहे हैं. दरअसल वर्ष 2006 में टाडा कोर्ट के जज ने बिट्टा कराटे को जमानत देते हुए टिप्पणी की थी कि उसके खिलाफ आरोप इतने गंभीर हैं कि उसे मौत की सजा की उम्र कैद दी जानी चाहिए, लेकिन अभियोजन पक्ष ने इस मामले में पूरी लापरवाही दिखाई.

ऐसे में 10 बाद ही सही सरकार ने कराटे को दोबारा कटघरे में पहुंचाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. सरकार का यह कदम इंडिया टुडे के स्टिंग ‘ऑपरेशन हुर्रियत ‘ में बिट्टा कराटे के कबूलनामे के बाद देखने को मिला है. इस स्टिंग में बिट्टा कराटे ने कैमरे पर कबूल किया था कि 90 के दशक में जब जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद पैर पसार रहा था और कश्मीरी पंडित राज्य छोड़कर भाग रहे थे, उस वक्त उसने 20 कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या की थी. 1990 में गिरफ्तार होने के बाद बिट्टा कराटे को जेल भेजा गया था, जिसके बाद 2006 में उसको जमानत मिल गई और वह जेल से बाहर आ गया.

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