कश्मीर के पत्थरबाज खबरदार, अब स्पेशल 500 करेंगे प्रहार
जम्मू कश्मीर के आतंकियों के खात्मे और पत्थरबाजों पर नकेल के लिए सीआरपीएफ के 500 स्पेशल कमांडो की फौज तैयार की गई है. इन्हें मध्य प्रदेश के शिवपुरी में ट्रेनिंग दी गई है. देश की जन्नत को पत्थरबाज लहूलुहान कर रहे हैं. इनकी हाथों से निकले पत्थर ना सिर्फ घाटी में आशांति की लहर के पानी बन रहे हैं, बल्कि सुरक्षाबलों की कीमती जिंदगी के लिए भी नासूर बन रहे हैं. लेकिन अब घाटी में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा. भाड़े के पत्थरबाज़ों के पीछे से आतंकी ग्रेनेड नहीं फेंक पाएंगे.
कमांडों ट्रेनिंग लिस्ट
- पावर क्विक एसेंडर ट्रेनिंग
- रुम इंटरवेंशन ट्रेनिंग
- क्रॉल ट्रेंच ट्रेनिंग
- मडाडिनो ट्रेनिंग
- लेजर गन ट्रेनिंग
- टारगेट शूटिंग एडवांस्ड ट्रेनिंग
- अर्बन इंसरजेंसी ट्रेनिंग
- स्टैपिंग स्टोन हाई वॉल ट्रेनिंग
थमेगा खून खराबे का दौर
सीआरपीएफ के 500 कमांडो को अलग अलग यूनिट में बांटा गया है. हर यूनिट में 35 से 40 कमांडो को ट्रेनिंग दी जा रही है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब खासकर जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात से निपटने के लिए खास प्रशिक्षण दिया जा रहा है. 7 सप्ताह की ट्रेनिंग खत्मकर स्पेशल 500 कमांडो की तैनाती जम्मू कश्मीर में हो चुकी है. ये तय मानिए कि जन्नत की जमीन पर अब स्पेशल 500 कमांडो के बूते खून खराबे का दौर जरुर थमेगा. स्पेशल 500 की ट्रेनिंग पत्थरबाज और आतंकियों की सभी साजिश पर भारी पड़ने वाली है.
कमांडो को स्पेशल ट्रेनिंग
ऐसा पहली बार हुआ है जब इन स्पेशल कमांडो को कश्मीर के आतंकियों से लोहा लेने के लिए अलग तरीके की ट्रेनिंग दी गई है. हवा, जमीन और पानी से आतंकियों पर प्रहार करने के लिए स्पेशल कमांडो की ट्रेनिंग देखकर आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे. यदि कश्मीर के दहशतगर्द भी इसे देख रहे होंगे तो उन्हें भी अमन की राह छोड़ हथियार उठाने के फैसले पर पछतावा हो रहा होगा. कश्मीर की धरती के मुश्किल हालात को देखते हुए सीआरपीएफ के कमांडो को क्रॉल ट्रेंच ट्रेनिंग दी जा रही है. शरीर के ऊपर कटीली तार लेकिन हौसले धारदार.
मॉर्डन हथियारों से लैस
बताते चलें कि जम्मू कश्मीर के आतंकियों को नेस्तनाबूद करने के लिए X-95 गन, AK-47, CGRL रॉकेट लॉन्चर, ऑटोमैटिक ग्रेनेड लांचर, UBGL ग्रेनेड लांचर, स्पेशल 51 मोर्टार, इंसास राइफल, एमपी-5 पिस्तौल के इस्तेमाल में CRPF के इन खास कमांडो को पारंगत बनाया गया है. इनको रोजाना 40 किलोमीटर पैदल चलने, 16 किलोमीटर दौड़ने, 18 मिनट में 26 बाधाएं पार करने, जंगल में 5 से 6 दिन बिना खाये पीए सिर्फ जंगली सामान का इस्तेमाल कर जिंदा रहने का माद्दा बनाया गया है. ट्रेनिंग की फेहरिस्त में हाई वॉल ट्रेनिंग भी शामिल है.