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कश्मीर के बाढ़ राहत पैकेज पर नीति आयोग की कैंची

niti-aayog-54ab87e8517d8_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी:  जम्मू एवं कश्मीर, कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ के बाद अब तक राहत पैकेज को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 44 हजार करोड़ के राहत और पुनर्वास पैकेज की मांग की थी।

केंद्र सरकार के क्षति आकलन के बाद नीति आयोग ने इसमें कटौती कर दी है। अब नुकसान का आकलन 11 हजार करोड़ पर सिमट गया है। मुफ्ती मोहम्मद सरकार द्वारा सौंपे गए नए मांग प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय ने होमवर्क पूरा कर लिया है। इस मद में पहली किस्त इस माह जारी हो सकती है।

जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री डॉ. हसीब द्राबू के मुताबिक उमर अब्दुल्ला की पिछली सरकार ने नुकसान का ठीक से आकलन किए बगैर आनन-फानन में प्रारंभिक मांग प्रस्ताव भेज दिया था। इसमें कई त्रुटियां थीं। इस कारण पैकेज की किस्त जारी होने में देर हुई।

बाद में नई सरकार ने गहन होमवर्क के बाद नया प्रस्ताव सौंपा है, जिसकी मंजूरी अंतिम दौर में है। इस बाबत केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ कई चरणों में विचार विमर्श हो चुका है। अब इस राशि के जारी में होने की बाधाएं दूर हो गईं हैं।

केंद्र सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावितों के� लिए अब तक एक साल में विभिन्न मदों में 4 हजार करोड़ रुपये जारी हुए हैं। यह राशि खर्च की जा चुकी है। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा कोष और राज्य आपदा कोष से राहत वितरण हुआ है।

तीन माह पहले अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। इसमें से भी राशि अब तक जारी नहीं हो पाई है।

नए प्रस्ताव में किसानों-बागवानों को हुआ नुकसान भी शामिल

जम्मू कश्मीर सरकार ने इस बाबत वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क साधा है। पिछली सरकार ने केंद्र के पास जो पैकेज प्रस्ताव भेजा था उसमें व्यापारिक प्रतिष्ठानों और किसानों-बागवानों को हुए नुकसान के एवज में राहत की मांग शामिल नहीं थी। नए प्रस्ताव में इसे शामिल किया गया है। मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज इससे अलग है।

 

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