कश्मीर: कोरोना से ठीक हुए लोगों ने कहा, डॉक्टरों के छूने भर से भाग गई बीमारी
नई दिल्ली: कश्मीर में कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों का कहना है कि यह दवाओं से अधिक डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का मानवीय स्पर्श था, जिसने उन्हें इस खतरनाक संक्रमण से बचाया है। वायरस से पूरी तरह ठीक होने और नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद मंगलवार को 13 कोविड-19 रोगियों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। ये लोग जब कोरोना को मात देकर दो सप्ताह बाद श्रीनगर के अस्पताल से बाहर निकले तो इनके चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी। साथ ही डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भी उनकी सराहना की।
कोरोना से जंग जीतकर ठीक हुए एक व्यक्ति ने कहा, “यह बहुत खुशी का क्षण है। मैं डॉक्टरों और सीडी अस्पताल के कर्मचारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं उनके व्यवहार से बहुत खुश हूं। हम उनके इलाज के तरीके को कभी नहीं भूलेंगे। हम 50 प्रतिशत दवाओं से जबकि 50 प्रतिशत केवल उनके बेहतर व्यवहार से ठीक हुए हैं। मुझे अब बेहतर और सामान्य लग रहा है।”
एक अन्य मरीज ने कहा, “हमारे साथ कितना अच्छा बर्ताव किया गया है, इसका वर्णन करने के लिए हमारे पास कोई शब्द नहीं है। मेडिकल स्टाफ ने हमारे लिए बहुत मेहनत की है। भगवान ने हमें एक नया जीवन दिया है।”
ठीक हो चुके मरीज अब अपने घरों में ही एकांतवास में रहेंगे। इस दौरान वे कड़ी निगरानी में रहेंगे। डॉक्टरों ने कहा कि एक महीने बाद उनका फिर से टेस्ट किया जाएगा। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर की प्रिंसिपल सामिया रशीद ने कहा, “आम जनता के लिए मेरा संदेश है कि कृपया उन्हें परेशान न करें। उन्हें अछूत नहीं माना जाना चाहिए, उन्हें कोई बीमारी नहीं है। वे हमारी तरह ही हैं। हम में से किसी को भी यह बीमारी हो सकती है, इसलिए कृपया उनकी निजता का सम्मान करें।” ठीक हुए मरीजों ने भविष्य के किसी भी कोविड-19 मामलों के लिए आवश्यक प्लाज्मा थेरेपी के लिए अपनी सहमति दी है।
पल्मोनोलॉजिस्ट नावेद नजीर शाह ने कहा, “इन सभी रोगियों ने आगे जटिल मामलों पर प्लाज्मा थेरेपी के लिए अपनी सहमति दे दी है। यह भविष्य के कोविड-19 मामलों में मदद करेगा।” इस हफ्ते की शुरुआत में पांच और सात साल की उम्र के दो नाबालिग कोविड-19 से संक्रमित बच्चों को श्रीनगर के जेएलएनएम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। इस संकट की घड़ी में कोरोना से जंग जीतना जहां रोगियों के लिए खुशी का पल है, वहीं ठीक होने वाले लोगों द्वारा चिकित्सा कर्मियों के अथक प्रयासों को श्रेय दिया जाना भी शुभ व बेहतर संकेत है।