कश्मीर नहीं यहां है धरती का स्वर्ग, इस पर्वत पर बिराजते है कुबेर
हमारे पुराणों और ग्रंथों में ‘कैलास पर्वत’ को भगवान शंकर और मां पार्वती का निवास स्थान बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार शिवजी अपने सभी गणों के साथ इस अलौकिक स्थान पर रहते हैं।
शिवपुराण के अनुसार, कैलास धन के देवता और देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की तपस्थली है। उन्ही की तपस्या से प्रसन्न होकर भोले भंडारी ने कैलास पर निवास करने का वचन दिया था।
इस स्थान को ही कुबेर देवता की अलकापुरी की संज्ञा दी जाती है। कैलास पर्वत का मनोरम दृश्य यात्रियों का मन मोह लेता है। प्रभु के भक्त भगवान के दर्शनों को जाते समय ऐसे अलौकिक नजारों से गुजरते हैं कि भावविभोर हो उठते हैं।
कैलास पर्वत के चारो तरफ पर्वतमाला है और सभी पर्वत सफेद चमचमाते बर्फ से ढके रहते हैं। इनका मनोरम दृश्य ऐसा लगता है मानों सफेद कमल खिला हुआ है, जिसकी 8 पंखुड़ियां हैं। इस पर्वत का बाहरी परिक्रमापथ करीब 62 किलोमीटर का है।
कैलास पर्वत का जिक्र केवल हिंदू धर्मग्रंथों में ही नही बल्कि बौद्ध और जैन धर्मग्रंथों में भी मिलता है। सनातन धर्म के शिव पुराण और अन्य शिव स्तुति ग्रंथों को छोड़कर रामायण और महाभारत ग्रंथों में कैलास पर्वत का जिक्र प्रमुखता के साथ मिलता है।
मानसरोवर झील के रास्ते में ही एक और झील है, जिसे क्षीर सागर कहा जाता है। क्षीर सागर को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का निवास माना जाता है। धर्म में आस्था रखनेवाले हर व्यक्ति के लिए कैलास यात्रा जीवन का बेहद महत्वर्ण हिस्सा है। हर शिव भक्त जीवन में एक बार जरूर यहां जाना चाहता है।