श्रीनगर। कश्मीर में दो दिसंबर को होने वाले दूसरे दौर के मतदान में अलगाववादी से मुख्यधारा के राजनीतिक नेता बने सज्जाद लोन तथा वर्तमान सरकार में एकमात्र महिला मंत्री सकीना इटू सहित कई हाई प्रोफाइल उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। राजनीतिक पर्यवेक्षक घाटी में सभी नौ निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी पैटर्न पर उत्सुकता से नजर रखे हुए हैं, लेकिन उत्तर कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हंदवारा निर्वाचन क्षेत्र पर विश्लेषकों का खास ध्यान रहेगा, क्योंकि लोन इस सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। लोन, जिनके पिता अब्दुल गनी आतंकवाद भड़कने के समय अलगाववादी खेमे में जाने से पहले तीन बार विधायक रहे, 2009 में अलगाववादी खेमे से अलग हो गए थे और उस साल उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा। चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे। सीनियर लोन ने 1967 से 1983 तक तीन बार हंदवारा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वह 1983 के विधानसभा चुनाव में भी जीते थे, लेकिन यह जीत उन्होंने जिले की करनाह सीट पर हासिल की थी। जूनियर लोन, जिनके बड़े भाई बिलाल हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के कार्यकारी सदस्य हैं, हंदवारा और आसपास के क्षेत्रों में अपने पिता के नाम पर निर्भर रहेंगे। लोन ने एक आश्चर्यजनक कदम के तहत इस महीने के शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और कहा था कि भाजपा नेता बड़े भाई की तरह हैं। इसके मद्देनजर यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भाजपा हंदवारा सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतार रही है। लोन नेशनल कान्फ्रेंस के उम्मीदवार चौधरी मोहम्मद रमजान को चुनौती दे रहे हैं, जो पांचवीं बार जीत की कोशिश कर रहे हैं। रमजान 2002 को छोड़कर 1983 से लगातार जीत हासिल करते रहे हैं। 2002 में वह निर्दलीय गुलाम मोहिउददीन सोफी से हार गए थे। वर्ष 2002 में सोफी की जीत का कारण उन्हें सज्जाद लोन का गुप्त समर्थन माना गया था, जिससे 2003 में हुर्रियत कान्फ्रेंस में सीधा बिखराव हो गया। कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने लोन पर परोक्ष उम्मीदवार उतारने का आरोप लगाया था। एजेंसी