ज्योतिष : चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आने वाले व्रत को कामदा एकादशी कहते हैं। इस वर्ष अप्रैल महीने में चार अप्रैल 2020 को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार कामदा एकादशी व्रत को करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ कहा गया है। कामदा एकादशी के व्रत का महात्म्य भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर को बतलाया था। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।
तिथि : 4 अप्रैल 2020, शनिवार
कामदा एकादशी का प्रारंभ : 4 अप्रैल को रात 12 बजकर 58 मिनट से
कामदा एकादशी का समापन : 4 अप्रैल को रात 10 बजकर 30 मिनट पर
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इस दिन पवित्र नदि, सरोवर या कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक लकड़ी के पाट को गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर उसके ऊपर पीला कपड़ा बिछाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा को पहले पंचामृत और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं। प्रतिमा को पाट पर विराजित करें।
भगवान विष्णु की पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजाकर उनको सुगंधित फूल, तुलसी दल, ऋतुफल, निष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत, तिल आदि समर्पित करें। दीपक और धूपबत्ती जलाएं। पूजा के दौरान श्री लक्ष्मीनारायण के मंत्रों का जाप करते रहें। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना फलदायी होता है। पूजन होने पर आरती उतारें। आखिर में पूजा में किसी प्रकार की भूल के लिए क्षमायाचना करें। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को दान दें साथ ही गाय को भी भोजन कराना भी उत्तम माना जाता है।