कहां गुम हो गए 135 लोग, जमीन निगल गई या आसमान?
सरगुजा. छत्तीसगढ़ इस साल भी गुम होने वाले लोगों का आंकड़ा छत्तीसगढ़ के सरगुजा में सितंबर तक 200 पार कर चुका है. इनमें से पुलिस ने 114 लोगों को तो ढूंढ निकाला, परंतु अभी भी 2014 के 43 और 2015 सितंबर तक 92 लोगों का कोई पता नहीं चल सका है.
ऐसे में सवाल उठता है कि सरगुजा से गायब हुए इन लोगों को जमीन निगल गई या फिर आसमान? जिम्मेदारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है. गुम होने वालों में बच्चों और महिलाओं की संख्या ज्यादा है.
पिछले वर्षों कों छोड़ दे तो वर्ष 2014 में गायब 26 महिलाओं और 17 पुरूषों का अब तक कोई पता नहीं चल सका है. 2015 में सितंबर तक 92 लोगों की लापता होने की खबर सामने आ चुकी है, जिनमें अभी तक 13 बालिकाओं, 50 महिलाओं, 3 बालक और 26 पुरूषों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है.
कुल मिलाकर 21 महीनों में सरगुजा से 135 से ज्यादा लोग लापता हो चुके हैं, जिनके बारे में कोई भी खबर सामने नहीं आ सकी है. हर वर्ष गुम होने वाले महिलाओं और बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है. एक भी वर्ष ऐसा नहीं रहा, जिसमें सभी बच्चों का पता चल पाया हो.
कहां हो गए लापता?
सबसे बड़ी बात यह है कि गुम होने वाले बच्चे और अन्य लोग आखिर कहां जा रहे है? मासूमों से समाज का हर वर्ग प्रेम करता है और यदि वे कहीं गुमते है तो उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने की हर कोई कोशिश करता है. इसके बावजूद हजारों बच्चों का न मिलना कई तरह के सवाल उठता है?
क्या बच्चों और युवतियों की तस्करी की जा रही है? क्या बच्चों को बहलाकर महानगरों में देह व्यापार या भिक्षावृत्ति जैसे घिनौने पेशे में ढकेला जा रहा है?
पुलिस सूत्रों और पिछले रिकॉर्ड की माने तो सरगुजा जिले में सीतापुर और आसपास के क्षेत्र में पहले ऐसे कुछ मामले सामने आए है. जशपुर क्षेत्र में ज्यादातर ऐसी घटनाएं हुई है. उसी क्षेत्र से लगे होने के कारण सीतापुर ओर आसपास के क्षेत्र में ऐसी कुछ घटनाएं घट चुकी है.
एंटी ह्यूमेन ट्रैफिकिंग सेल की भूमिका
जिले में मानव तस्करी जैसे अपराधों और सक्रिय गिरोह पर लगाम लगाने एंटी ह्यूमेन ट्रैफिकिंग सेल का गठन किया गया था. जिले में यह सेल क्या काम कर रहा है. इसका एक भी उदाहरण सामने नहीं आ सका है. दूसरी ओर समय-समय पर महानगरों में संचालित प्लेसमेंट एजेन्सियों में जिले की युवतियों व बच्चों को भेजने का मामला सामने आता रहता है.