कहावत नहीं, सच में मौजूद हैं गोबर गणेश भगवान, पूरी होती है मन्नत
भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनका इतिहास काफी पुराना है। जिसकी वजह से यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बने हुए हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के महेश्वर में एक ऐसा दक्षिण मुखी भगवान गणेश मंदिर (Gobar Ganesh Temple) है, जहां भगवान मूर्ती ना होकर गोबर की मूर्ति है।
बताया जाता है कि मंदिर में विराजमान गणेशजी की मूर्ति लगभग 900 साल पुरानी है। गोबर की मूर्ति होने की वजह से यह मंदिर गोबर गणेश (Gobar Ganesh Temple) के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का बाहर और अंदर का हिस्सा है अलग
गोबर गणेश मंदिर का बाहरी हिस्सा मस्जिद जैसा लगता है क्याोंकि बाहर का हिस्सा गुंबद के आकार का है। साथ ही मंदिर के अंदर का हिस्सा श्रीयंत्र की तरह लगता है। बताया जाता है कि औरंगजेब के शासन काल में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था, जिसके कारण इसका बाहरी हिस्सा गुबंद के जैसा है।
प्रतिमा में पंचतत्वों का है वास
मंदिर में भगवान गणेश के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि के भी दर्शन होते हैं। मगवान गणेश मंदिर में माथे पर मुकुट, गले में हार और मनमोहक श्रृंगार के साथ बैठते हैं। भगवान गणेश की मिट्टी और गोबर की प्रतिमा में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में महालक्ष्मी वास करती हैं। इसलिए भी यह मंदिर भक्तजनों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
12 साल से जल रही है अखंड ज्योति
गोबर गणेश मंदिर की खास बात यह है कि भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाकर लगाते हैं। इसके बाद जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो उस स्वास्तिक को सीधा कर देते हैं। साथ ही यहां 12 साल से अखंड ज्योति भी जल रही है। अहिल्याबाई होल्कर ने करीब 250 साल पहले इस मंदिर का जीर्णोद्घार कराया था।
विदेशों में भी प्रसिद्ध है यह मंदिर
गोबर गणेश के दर्शन करने के लिए यहां हर रोज कम से कम 500 से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। विशेषकर नया साल, गणेश उत्सव और दीपावली के मौके पर भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। अपनी महिमा की वजह से यह मंदिर देश-विदेश में हर जगह चर्चित है।