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EVM में हारे कांग्रेस प्रत्याशी को बैलेट पेपर में मिली जीत
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में EVM मशीनों को लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों ने सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं।
गोवा में राणे के बाद एक और विधायक ने छोड़ी कांग्रेस
बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि ईवीएम में हारा कांग्रेस प्रत्याशी बैलट पेपर से हुए चुनाव में जीत गया था।
जानें क्या है मामला?
ईटीवी के अनुसार साल 1982 में चुनाव आयोग ने ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर सरकार से कानून संशोधन का आग्रह किया। लेकिन चुनाव आयोग ने कानून संसोधन का इंतजार किए बगैर ही अनुच्छेद-324 के तहत मिली आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केरल विधानसभा चुनाव में कई जगहों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया। एर्नाकुलम जिले की पावावुर विधानसबा की 84 में से 50 बूथों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया।
बैलट पेपर के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जीता
ईवीएम में हार के बाद कांग्रेस प्रत्याशी के जोस ने हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज की। उन्होंने आरपी एक्टर 1951 और कंडक्ट ऑफ इलेक्शन्स रूल्स 1961 का हवाला देते हुए कहा कि ये नियम ईवीएम के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देते हैं। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने फैसले को खारिज कर बैलट पेपर से वोटिंग कराने का आदेश दिया। इसके बाद जब पोस्ट बैलट से वोटिंग हुई तो कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिली।
ईवीएम मशीन की वोटिंग में हारा कांग्रेस प्रत्याशी :
पावावुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी ए सी जोस और सीपीआई नेता सिवन पिल्लेई के बीच मुकाबला था। चुनाव से पहले सीपीआई प्रत्याशी ने ईवीएम की उपयोगिता और इस्तेमाल के तरीको को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर किया था। इसके बाद जब चुनाव आयोग ने ईवीएम इस्तेमाल करने का तरीका दिखाया तब कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। चुनाव में सीपीआई नेता सिवन पिल्लई को मात्र 123 वोटों से जीत हासिल हुई।