मुंबई. अमृत महोत्सव वर्ष पर राष्ट्रवादी कांग्रेस के सर्वेसर्वा और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार की किताब कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए सिरदर्द बन गई है। किताब के जरिए पवार की ओर से गांधी परिवार पर किए गए तीखे हमले से कांग्रेस में नाराजगी है। उन्हें लगता है कि सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस को फंसाया गया है।
नहीं लगने दी भनक
गांधी परिवार के निकट माने जाने वाले एक वरिष्ठ नेता के शब्दों में- राकांपा के नेताओं ने दिल्ली में आयोजित समारोह से पहले यह भनक नहीं लगने दी कि किताब में क्या लिखा है? दरअसल किताब में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राजीव गांधी की कार्यशैली को अपमानजनक तरीके से निशाना बनाया गया है। लेकिन 10 तारीख के कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए पवार खुद सोनिया के जन्मदिन पर 9 दिसंबर को मिले। उन्हें अगले दिन आने का न्योता दिया। नेता के मुताबिक पवार के राजनीतिक कद को ऊंचा करने के लिए अगले दिन सोनिया और राहुल गांधी 10 दिसंबर के कार्यक्रम में मौजूद रहे। अगले ही दिन से किताब के जो अंश देश भर में अखबारों और मीडिया के सहारे सामने आए हैं, उससे पार्टी की इमेज को काफी नुकसान हुआ है। इससे पार्टी में ये संदेश गया कि राकांपा ने फिर कांग्रेस को बुरी तरह फंसा दिया।
नए बंदरगाह को लेकर शिवसेना नेताओं में मतभेद
पालघर जिले में डहाणु के पास वाढवण में बनाए जाने वाले नए बंदरगाह को लेकर शिवसेना के नेताओं के बीच मतभेद उभरकर आ रहे हैं। राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम यहां पर बंदरगाह बनाए जाने के पक्ष में हैं। लेकिन उन्हीं के पार्टी के नेता नए बंदरगाह का विरोध कर रहे हैं। शिवसेना के उपनेता अनंत तरे ने यहां आयोजित मोर्चे में साफ कहा कि नए बंदरगाह को लेकर शिवसेना का विरोध बना रहेगा। तरे ने दावा किया कि शिवसेना की बंदरगाह विरोधी भूमिका कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुझे पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे का पत्र भी प्राप्त हो चुका है। पालघर जिलाधिकारी कार्यालय पर मछली व्यवसाय से जुड़े अलग-अलग संगठनों की ओर से मोर्चा निकाला गया था। मोर्चे में तरे ने कहा कि यहां के मछुआरों का व्यवसाय चौपट हो जाएगा। इसलिए किसी भी स्थिति में यहां पर बंदरगाह नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि युति सरकार में महत्वूर्ण नीतिगत फैसले पक्ष प्रमुख उद्धव ही लेते हैं। इसलिए यह बंदरगाह नहीं बनने दिया जाएगा।
गांधी परिवार के निकट माने जाने वाले एक वरिष्ठ नेता के शब्दों में- राकांपा के नेताओं ने दिल्ली में आयोजित समारोह से पहले यह भनक नहीं लगने दी कि किताब में क्या लिखा है? दरअसल किताब में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राजीव गांधी की कार्यशैली को अपमानजनक तरीके से निशाना बनाया गया है। लेकिन 10 तारीख के कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए पवार खुद सोनिया के जन्मदिन पर 9 दिसंबर को मिले। उन्हें अगले दिन आने का न्योता दिया। नेता के मुताबिक पवार के राजनीतिक कद को ऊंचा करने के लिए अगले दिन सोनिया और राहुल गांधी 10 दिसंबर के कार्यक्रम में मौजूद रहे। अगले ही दिन से किताब के जो अंश देश भर में अखबारों और मीडिया के सहारे सामने आए हैं, उससे पार्टी की इमेज को काफी नुकसान हुआ है। इससे पार्टी में ये संदेश गया कि राकांपा ने फिर कांग्रेस को बुरी तरह फंसा दिया।
पालघर जिले में डहाणु के पास वाढवण में बनाए जाने वाले नए बंदरगाह को लेकर शिवसेना के नेताओं के बीच मतभेद उभरकर आ रहे हैं। राज्य के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम यहां पर बंदरगाह बनाए जाने के पक्ष में हैं। लेकिन उन्हीं के पार्टी के नेता नए बंदरगाह का विरोध कर रहे हैं। शिवसेना के उपनेता अनंत तरे ने यहां आयोजित मोर्चे में साफ कहा कि नए बंदरगाह को लेकर शिवसेना का विरोध बना रहेगा। तरे ने दावा किया कि शिवसेना की बंदरगाह विरोधी भूमिका कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुझे पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे का पत्र भी प्राप्त हो चुका है। पालघर जिलाधिकारी कार्यालय पर मछली व्यवसाय से जुड़े अलग-अलग संगठनों की ओर से मोर्चा निकाला गया था। मोर्चे में तरे ने कहा कि यहां के मछुआरों का व्यवसाय चौपट हो जाएगा। इसलिए किसी भी स्थिति में यहां पर बंदरगाह नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि युति सरकार में महत्वूर्ण नीतिगत फैसले पक्ष प्रमुख उद्धव ही लेते हैं। इसलिए यह बंदरगाह नहीं बनने दिया जाएगा।