दस्तक-विशेषराष्ट्रीय

कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित होते ये नेता

डॉ हिदायत अहमद खान

भारतीय राजनीति में अपने बयानों और भाषणों के जरिए मतदाता को लुभाने का काम जिस नेता को जितना ज्यादा आता है वह उतना ही बड़ा माना जाता है। ऐसे नेता समुद्र मंथन से प्राप्त उस अमृत के समान हो जाते हैं जो अपने बयानों से चाहें तो राजनीतिक पार्टी को विजय हासिल करा दें और चाहें तो अपनी ही पार्टी को धूल चटवा दें। ऐसे ही नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशकंर अय्यर का नाम इन दिनों लिस्ट में सबसे ऊपर है। दरअसल अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच इंसान’ जैसी शब्दावली से संबोधित करके अपने खुद के लिए तो मुसीबत मोल ले ही ली, साथ ही पार्टी को भी खासा नुक्सान पहुंचाया है। इस बयान को लेकर चारों ओर से उनकी निंदा हो रही है। यहां तक कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें इस बावत आड़े हाथ लिया और देखते ही देखते अय्यर ने इसे अपनी भूल मानते हुए माफी भी मांग ली, लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि बंदूक से निकली गोली और जुबान से निकले शब्द वापस नहीं आते बल्कि वो अपने लक्ष्य को भेदकर ही रहते हैं। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को इस बात का एहसास हुआ कि अय्यर ने बहुत बड़ी गलती कर दी है इसलिए उनकी सदस्यता ही रद्द कर दी गई। इस प्रकार देखा जाए तो अय्यर ने अपने इस तुच्छ बयान से गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की पूरी मेहनत पर पानी फेरने जैसा काम किया है। यही वजह है कि अय्यर पर पार्टी स्तर पर कार्रवाई होने के बावजूद भाजपा नेताओं समेत प्रधानमंत्री मोदी इस बयान को जाति से जोड़कर खूब मिर्च-मसाला लगाकर मतदाताओं के समक्ष परोसने का काम कर रहे हैं।

दरअसल गुजरात चुनाव का प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि ‘एक नेता हैं, बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी से उन्होंने डिग्री ली है। वे भारत के राजदूत रहे हैं। मनमोहन सरकार में वे जवाबदार मंत्री रहे। उन्होंने कहा कि मोदी नीच जाति का है।’ यहां प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘मेरी जाति कोई भी हो, लेकिन काम ऊंचे किए हैं, मेरे संस्कार ऊंचे हैं।’ इस प्रकार उन्होंने एक शब्द विशेष को जाति विशेष से जोड़कर पूरे मामले को ही पलट दिया और सीधे कांग्रेस पर वार करते हुए यहां तक कह दिया कि यह अपमान गुजरात का है। इस प्रकार पूरे मामले को चुनावी रंग देते हुए भाजपा ने यह बताना मुनासिब नहीं समझा कि कांग्रेस ने भी अय्यर के बयान को उचित नहीं माना है और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। बल्कि यहां तो प्रधानमंत्री मोदी भावनात्मक तौर पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करते नजर आए और उन्होंने इसी बहाने पुराने जख्मों को फिर से कुरेदने का काम कर दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि ‘क्या यह भारत की महान परंपरा है? मुझे तो मौत का सौदागर तक कहा जा चुका है। गुजरात की संतानें इस तरह की भाषा का तब जवाब दे देंगी, जब चुनाव के दौरान कमल का बटन दबेगा।’ यहां मोदी जी यह भी बतला देते तो अच्छा होता कि जब उन्हें मौत का सौदागर कहा जा रहा था तब उन्हीं के पार्टी के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उन्हें राजधर्म का पालन करने की नसीहत दे रहे थे। बहरहाल यहां चुनावी बयार है इसलिए इसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के पक्ष में जाते वोट बैंक को एक बार फिर अपने पाले में करने का भरसक प्रयास किया है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर अय्यर जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को ऐसा क्या सूझता है कि वो चुनाव से पहले विवादित बयान देकर भाजपा को आक्रामक होने और कांग्रेस पर वार करने का अवसर प्रदान कर देते हैं। ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर ये नेता खिन्न चल रहे हैं और इसी कारण वो कहना कुछ चाहते हैं और कह कुछ जाते हैं।

इसमें शक नहीं कि कांग्रेस के अंदर ही एक ऐसा धड़ा मौजूद है जो कि राहुल के पार्टी नेतृत्व को लेकर असंतुष्ट है और ऐसे ही लोग विरोधियों के मुंह में ‘पप्पू’, ‘नासमझ बच्चा’, ‘शहजादा’ या ‘नौसिखिया’ जैसे चुभने वाले शब्द देने का काम करते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में तो राहुल गांधी ने जिस प्रकार से मेहनत की और लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम किया उससे यह संकेत मिलने लगे हैं कि पार्टी को खासा फायदा होने वाला है। अनेक सर्वे रिपोर्ट्स ने भी कांग्रेस को आगे बढ़ते हुए दिखाया। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं को चाहिए था कि वो खामोश रहते और अपने नेता की गाइड लाइन को फालो करते, लेकिन असंतुष्ट जैसे दिखने वाले नेता अपने स्तर पर विवादित बयान देकर पार्टी को नुक्सान पहुंचाने से चूकते नहीं हैं। अय्यर भी इन्हीं में से एक माने जा सकते हैं। अय्यर पर पार्टी ने त्वरित कार्रवाई करके सभी को आगाह करने का काम किया है कि कांग्रेस में जुमलेबाजों की अब कोई आवश्यकता नहीं है। यदि कांग्रेस में रहकर जनसेवा करनी है तो जमीनी स्तर पर अपने आपको सिद्ध करना होगा। ठीक उसी तरह जैसे कि कांग्रेस की परिपाटी रही है कि गरीब और किसानों के हक की बात करना और उनके बीच में रहते हुए उनकी समस्याओं का समाधान तलाशना। इसे राहुल अब आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं तो कुछ लोगों को खासी दिक्कत होने लगी है। बहरहाल भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी भी इस मामले को भाग्य से छींका टूटने जैसा मान रहे हैं, इसलिए इसे खूब उछाल रहे हैं, जबकि गुजरात की जनता जान गई है कि प्रदेश का विकास कौन कर सकता है और कौन आगे भी जुमलेबाजी जारी रखते हुए भावनात्मक तौर पर उन्हें लूटता रहेगा।

 

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