नाचनी(पिथौरागढ़): अजब हाल है राज्य की प्रशासनिक मशीनरी का। आलम देखना हो तो सीमांत पिथौरागढ़ की तेजम तहसील आइए। यहां तहसील सिर्फ कागज में है। धरातल पर अगर कुछ दिखता है तो जंगल के बीच एक दो मंजिला भवन और उस पर लगा तहसील का बोर्ड। इस तहसील में अधिकारी हैं न कर्मचारी। अलबत्ता जंगली जानवर जरूर कागजी तहसील को गुलजार किए रहते हैं।
डेढ़ वर्ष पहले कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुनस्यारी के तल्ला जोहार को तहसील का दर्जा देने की घोषणा की थी, जिसका मुख्यालय तेजम में तय किया गया। नाम भी दिया गया तेजम तहसील। तहसील का शासनादेश जारी होते ही जंगल के बीच बनी पटवारी चौकी को अस्थायी तहसील भवन बनाया गया। तहसील के नाम का बोर्ड टांग दिया लेकिन आज तक कोई अधिकारी-कर्मचारी नहीं पहुंचा। भाजपा की नई सरकार बनी तो जनप्रतिनिधियों ने जनता को फिर सब्जबाग दिखाए।
भरोसा दिलाया कि तहसील गुलजार की जाएगी। नई सरकार बने भी सात माह गुजर गए लेकिन तहसील कागजों से बाहर नहीं निकल पाई। आज भी ग्रामीणों को अपने कार्य कराने के लिए मुनस्यारी जाना पड़ रहा है।
जनता की सुविधा के लिए खोली गई तहसील जनता के किसी काम की नहीं है। इस संबंध में जिलाधिकारी सी. रविशंकर का कहना है कि तहसील में अधिकारियों व कर्मचारियों की तैनाती को लेकर लगातार प्रस्ताव राजस्व परिषद व शासन को भेजे गए, लेकिन अभी तक अधिकारी व कर्मचारियों की तैनाती नहीं हो पाई है।
कोटा पंद्रहपाला से लेकर खतेड़ा के ग्रामीण परेशान
तेजम तहसील के अंतर्गत अति दूरस्थ कोटा पंद्रहपाला से लेकर खतेड़ा तक का क्षेत्र शामिल है। इन गांवों के ग्रामीणों को अपनी पुरानी तहसील मुनस्यारी तक पहुंचने के लिए पैदल चलने के बाद दो वाहन बदलने पड़ते हैं। तेजम में तहसील खुलने पर एक ही वाहन से पहुंचने की इन ग्रामीणों की आस धूमिल हो चुकी है।