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कारगर हो सकती है गरीबी हटाने की कांग्रेस की योजना

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने यह माना कि कांग्रेस की न्यूनतम आय गारंटी की प्रस्तावित योजना सैद्धांतिक रूप से अच्छी है और यह कारगर भी हो सकती है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए देश की वित्तीय वास्तविकताओं का ध्यान रखना होगा और अभी के वित्तीय हालत को देखें तो इतना खर्च संभव नहीं लगता. रघुराम राजन ने अपनी किताब ‘द थर्ड पिलर’ के लोकार्पण के मौके पर इंडिया टुडे टीवी से खास बातचीत में यह बात कही.

गौरतलब है कि 25 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के करीब 25 करोड़ गरीबों को फायदा पहुंचाने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो 5 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना कम से कम 72,000 रुपये की आय सुनिश्चित की जाएगी. इसे न्यूनतम आय योजना या NYAY कहा गया.

रघुराम राजन ने कहा कि कांग्रेस की प्रस्तावित योजना से जमीनी स्तर पर तरक्की को बढ़ावा मिलेगा, हालांकि उन्हें इस बात को लेकर थोड़ा संदेह भी था कि भारतीय अर्थव्यवस्था इतने बड़े खर्च का वहन कर सकती है या नहीं. इस योजना के तहत सालाना करीब 3.6 लाख करोड़ रुपये का खर्च हो सकता है, जो कि सोशल स्कीम्स पर मोदी सरकार के 2019-20 के तय बजट 3.34 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. कांग्रेस ने कहा है कि न्याय को लागू करने में किसी मौजूदा योजना को खत्म नहीं किया जाएगा, तो इसका मतलब यह है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो सरकार को सामाजिक योजनाओं के लिए 6.94 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी होगी.

रघुराम राजन ने कहा, ‘सही तरीके से लागू किया जाए तो मिनिमम गारंटी स्कीम से ‘क्रांतिकारी बदलाव’ लाए जा सकते हैं. इस योजना को तैयार करने के ऐसे तरीके हैं जिनसे जमीनी स्तर पर तरक्की हो सकती है. इससे लोग अपने वित्तीय निर्णय खुद ले सकेंगे. लेकिन सवाल ये है कि इसे लागू कैसे किया जाएगा? यह मौजूदा योजनाओं जैसी एक और योजना होगी या इनसे चीजों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा?’ हमारे पास गरीबी उन्मूलन को प्रभावी तरीके से लागू करने का एक मौका है. प्रभावी तरीके से लागू किया जाए तो यह योजना चीजों को बदल सकती है.

फिलहाल तो हालत तंग

हालांकि उन्होंने इस बात को लेकर सचेत भी किया कि देश की मौजूदा जो स्थ‍िति है वह इतने बड़े खर्च के लिए अनुकूल नहीं हैं. सरकार को यह देखना होगा कि वित्तीय गुंजाइश किस तरह की है. फिलहाल तो हालत बहुत तंग है. चुनाव के बाद इस पर विचार करना होगा कि क्या हालात हैं. अभी जो हालात हैं, उसमें तो अगर पूछा जाए कि क्या हम फिर 7 लाख करोड़ की और सब्सिडी जोड़ सकते हैं, तो जवाब न ही होगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा था कि रघुराम राजन भी उन शीर्ष अर्थशास्त्रियों में शामिल थे, जिनसे न्यूनतम आय योजना का प्रारूप तैयार करने के लिए पार्टी ने सलाह ली है.

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