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कारगिल युद्ध के जाबांज योद्धा बिक्रम बत्रा से डरती थी पाकिस्तानी सेना


(कारगिल विजय दिवस पर विशेष)
नई दिल्ली : भारतीय सेना के जाबांज अधिकारी थे विक्रम बत्रा। बत्रा भारतीय सेना के वो ऑफिसर थे, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। इसके बाद उन्हें भारत के वीरता सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। 19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा की लीडरशिप में इंडियन आर्मी ने घुसपैठियों से प्वांइट 5140 छीन लिया था, ये बड़ा इंपॉर्टेंट और स्ट्रेटेजिक प्वांइट था, क्योंकि ये एक ऊंची, सीधी चढ़ाई पर पड़ता था। वहां छिपे पाकिस्तानी घुसपैठिए भारतीय सैनिकों पर ऊंचाई से गोलियां बरसा रहे थे, इसे जीतते ही विक्रम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए, जो सी लेवल से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर था और 80 डिग्री की चढ़ाई पर पड़ता था। 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी, इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ, तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं।

अक्सर अपने मिशन में सफल होने के बाद कैप्टन विक्रम बत्रा जोर से चिल्लाया करते थे, ‘ये दिल मांगे मोर। उनके साथी नवीन, जो बंकर में उनके साथ थे, बताते हैं कि अचानक एक बम उनके पैर के पास आकर फटा, नवीन बुरी तरह घायल हो गए, पर विक्रम बत्रा ने तुरंत उन्हे वहां से हटाया, जिससे नवीन की जान बच गई, लेकिन उसके आधे घंटे बाद कैप्टन ने अपनी जान दूसरे ऑफिसर को बचाते हुए खो दी। पालमपुर में जी.एल. बत्रा और कमलकांता बत्रा के घर 9 सितंबर 1974 को दो बेटियों के बाद दो जुड़वां बच्चों का जन्म दिया, उन्होंने दोनों का नाम लव-कुश रखा। लव यानी विक्रम और कुश यानी विशाल, शुरुआती पढ़ाई के लिए विक्रम किसी स्कूल में नहीं गए थे, उनकी शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई थी और उनकी टीचर थीं उनकी मां। कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के किस्से भारत में ही नहीं सुनाए जाते, पाकिस्तान में भी विक्रम बहुत पॉपुलर हैं। पाकिस्तानी आर्मी भी उन्हें शेरशाह कहा करती थीं और यही वजह था कारगिल युद्ध के दौरान उनका कोड नाम ‘शेरशाह’ था। विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी, दो साल के अंदर ही वो कैप्टन बन गए, उसी वक्त कारगिल वॉर शुरू हो गया, 7 जुलाई, 1999 को 4875 प्वांइट पर उन्होंने अपनी जान गंवा दी, जब तक जिंदा रहे, तब तक अपने साथी सैनिकों की जान बचाते रहे।

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