कालाधन: HSBC की चुराई गई सूची में शामिल भारतीय जांच दायरे में
नयी दिल्ली: काले धन के बारे में एचएसबीसी की चुराई गई सूची में शामिल भारतीयों के खिलाफ अपने रूख को कड़ा करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने इन मामले में हवाला व मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की दृष्टि से एक स्वतंत्र शुरुआती जांच शुरू की है। निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में विभिन्न अदालतों के रजिस्ट्रर कार्यालयों से अब तक 140 इकाइयों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर अभियोजन आरोप पत्रों का ब्यौरा हासिल करने का काम शुरू किया है।
सूत्रों के अनुसार बैंक के एक कर्मचारी द्वारा कथित रूप से चुराए जाने के बाद यह सूची फ्रांसीसी सरकार ने कुछ साल पहले भारत सरकार को उपलब्ध कराई थी। उन्होंने कहा कि इस सूची में से अनेक मामलों में तो प्रथम दृष्टया विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत आरोप बनते हैं। इनमें से अनेक में मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पी एम एल ए) के कड़े प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।
इस सूची में शामिल, विदेशों में धन रखने वालों के लिए और परेशानी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि पीएमएलए के तहत कानूनी प्रक्रिया आपराधिक प्रवृत्ति की है और निदेशालय द्वारा जारी एक ताजा परिपत्र के अनुसार आईपीसी की धारा 120 बी के तहत दर्ज मामलों में प्रवर्तन निदेशालय मनी लांड्रिंग आरोप के तहत जांच कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि कर विभाग ने इनमें से अनेक मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी भी लगाई है।
सूत्रों के अनुसार एजेंसी अनेक मामलों में जांच के अग्रिम चरण में है और उन लोगों के खिलाफ फेमा के नोटिस जारी कर रही है जिनके खिलाफ आयकर विभाग ने अदालत में मामले दर्ज किए हैं। भले ही विभिन्न अदालतों से सभी 140 मामलों को हासिल करने में बहुत समय लग रहा हो। उन्होंने कहा कि इस मामले में विदेशी बैंकों में जमा अघोषित जमाओं के मद में 3000 करोड़ रुपये से अधिक की आय को अब तक कर के दायरे में लाया गया है। हवाला व मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जुर्माना के अलावा पीएमएलए के तहत उन्हें जेल भी हो सकती है। एचएसबीसी की सूची में कुल 628 भारतीयों के नाम आए। इनमें से 200 प्रवासी हैं या ऐसे हैं जिनका पता नहीं चल सका। इसके बाद 428 मामलों ही कार्रवाई के योग्य पाए गए।