प्रयागराज अर्धकुंभ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काले वस्त्रों में गंगा स्नान चर्चा का विषय बना हुआ है. धर्मज्ञ इसके शुभत्व पर विचार कर रहे हैं. ज्योतिषी अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, सामान्यतः श्यामल वस्त्रों का प्रयोग निशाकालीन एवं तंत्रोक्त पूजा में किया जाता है. सात्विक एवं मांगलिक धर्मानुष्ठान में यह रंग वर्जित माना जाता है. इसका कारण यह है कि काला सर्वग्राह्य रंग है. इस पर कोई रंग नहीं चढ़ता. यह सबको समाहित कर लेता है. साथ ही यह स्वयं तमस का प्रतीक है. काला वस्त्र पहना व्यक्ति तामसिक प्रतीक के साथ पूजा-अनुष्ठान से जुड़ता है तो वह समुचित फल की प्राप्ति नहीं कर पाता.
ज्योतिषी अरुणेश कुमार शर्मा कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा में सहज आस्था से डुबकी लगाई. गंगा स्नान धर्मानुष्ठान का हिस्सा न होने से इसका कोई धार्मिक सकारात्मक-नकारात्मक प्रभाव उन पर नहीं होगा.
मोदी जी के गले में स्नान के समय रुद्राक्ष की माला होने से शिवशंकर भोलेनाथ की कृपा उनके साथ रही. शिवशंकर को अघोरेश्वर माना जाता है. शिव स्वयं रंग-भेदादि समस्त प्रपंचों से परे हैं.
काले रंग को शनिग्रह का प्रमुख रंग माना जाता है. शनि ग्रह जनता के कारण हैं. बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं जनता के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं. उनका काले वस्त्रों में गंगा स्नान संपूर्ण भारतवासियों के लिए है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मतिथि 17 सितंबर 1950 है. जन्मांक 8 है. यह शनि का अंक है. शनि उनकी जन्मराशि वृश्चिक है. वे शनि की साढ़े साती के प्रभाव में हैं. संभवतः शनि को प्रसन्न करने के लिए उन्हें काले वस्त्र धारण किए हों. ज्योतिषीय दृष्टि से यह शास्त्र सम्मत है.
प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी समाज के अंतिम तबके के सर्वोच्च प्रतिनिधि हैं. उन्हें सम्मान देने के लिए भी उन्होंने कृष्ण वसन धारण किए. निश्चित ही ऐसा करना उनकी कमजोर तबकों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है.
वहीं, श्री विद्यामठ, काशी के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं, हमारे यहां सनातन धर्म में रंग को लेकर तो कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन कोई बड़ा पाप हो जाए तो प्रायश्चित के लिए कहा गया है, ‘सचैलं स्नानमाचरेत्’ यानी व्यक्ति पहने हुए वस्त्र के साथ स्नान करें. इसके अलावा जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो श्मशान से लौटते वक्त लोग पहने हुए वस्त्र के साथ स्नान करते हैं.
प्रेत को उपेन्द्र ना देकर उसे खुद खा लेने वाले को कपड़े सहित स्नान करना चाहिए, ऐसा वराह पुराण का शरद उत्पत्ति प्रकरण कहता है. जिसके माथे पर तिलक ना हो, ऐसे ब्राह्मण को देख करके भी कपड़े सहित स्नान करने का विधान है. यह विधान पद्मपुराण के पाताल खंड के पांचवें अध्याय के 79वें श्लोक में है.
पुत्र के उत्पन्न होने की सूचना मिलने पर पिता के लिए कपड़े सहित स्नान करने का विधान वशिष्ठ ऋषि ने किया है जिसे संस्कार रत्नमाला में उद्धृत किया गया है. गीली हड्डियां छू लेने पर अथवा पतित व्यक्ति का उच्छिष्ट खा लेने पर अथवा सर्प अवसर पर टीका संगम देख लेने पर भी कपड़ा पहने हुए ही स्नान करने का यह विधान नारद पुराण के 26 वें अध्याय के 30वें श्लोक में है.
धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने भी भक्तों को मुक्त देखने पर कपड़े सहित स्नान करने का उल्लेख भक्ति सुधा नाम के ग्रंथ में किया है. मायावादियों जो कि शास्त्रों के विरुद्ध बोलते हैं, ऐसे लोगों का मुख्य दर्शन करने पर भी कपड़े सहित स्नान करने का विधान शोर पुराण के 39 वें अध्याय में है.
इसी तरह के अनेक अन्य पापों के हो जाने पर भी वस्त्र सहित स्नान करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है. हो सकता है मोदी जी इन्हीं में से किसी एक पाठ के परिहार के लिए सचिव स्नान अर्थात वस्त्र सहित स्नान किए होंगे. ऐसा अनुमान किया जाना असंगत नहीं होगा.
लेटे हनुमान मंदिर, प्रयागराज के महंत आनंद गिरी कहते हैं, किसी भी रंग का वस्त्र पहनकर स्नान किया जा सकता है. इसमें कोई निषेध नहीं है. पीएम राजनीति करने आए थे. काला पहन कर दलितों को खुश कर दिया, भगवा पहन कर विहिप या अन्य भगवाधारी संतों को खुश कर दिया. उनकी राजनीति से हमें दिक्कत नहीं है बशर्ते लोक कल्याण होना चाहिए.
कुंभ के पहले शाही स्नान पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी स्नान करने पहुंची थीं. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी काले वस्त्र पहनकर ही स्नान किया था.