काले धन से खरीदे जाते हैं वीआईपी नम्बर
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चंडीगड़ । पंजाब में नशीली दवाओं के व्यापार में लिप्त गिरोह के सदस्य अपनी काली कमाई बड़ी आलीशान गाड़ियों और मोबाईल फोन के लिए वीआईपी नम्बर खरीदने जैसे शौक में खर्च करते हैं। पंजाब पुलिस ने हाल ही में नकली दवाओं का व्यापार करने वाले एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस को जांच में पता चला कि गिरोह को चलाने वाले मुखिया न केवल आलीशान जीवन जीते हैं बल्कि अपनी काली कमाई सरकारी नीलामी में वीआईपी कार और पंजीकरण संख्या की खरीद में खर्च करते हैं। पटियाला पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार उद्योगपति जगजीत सिंह चहल अपनी आलीशान गाड़ियों और मोबाइल फोन के लिए वीआईपी नम्बर खरीदना चाहता था। उसके साथ अंतर्राष्ट्रीय कुश्तीबाज से पुलिस अधिकारी और फिर नशीली दवाओं के व्यापारी बन बैठे जगदीश भोला को भी गिरफ्तार किया गया है। पटियाला जिले के पुलिस प्रमुख हरदयाल सिंह मान ने आईएएनएस को बताया ‘‘जगजीत सिंह चहल की पृष्ठभूमि की छानबीन में खुलासा हुआ कि वह आलीशान जीवनशैली का आदी है और अपनी आलीशान गाड़ियों और मंहगे मोबाइल फोन के लिए एक संख्या वाला वीआईपी नम्बर रखने का शौकीन है।’’चहल ने जून महीने में चंडीगढ़ में एक सरकारी नीलामी में 17 लाख खर्च करके पंजीकरण संख्या ‘सीएच-०1-एएन-०००1’ हथियाई थी। खुद को एक किसान और व्यापारी बताने वाले चहल ने यह नम्बर अपनी 85 लाख की टोयोटा लैंड क्रूजर एसयूवी के लिए खरीदा था। पुलिस को जांच में पता चला कि चहल ने अपनी कई दूसरी आलीशान गाड़ियों के लिए पंजाब से सरकारी नीलामी में वीआईपी नम्बरों की खरीद की है। पुलिस को चहल के पास से सात मोबाईल फोन मिले जिनके नम्बर वीआईपी श्रेणी के हैं। ००००1 से अंत होने वाले इन वीआईपी नम्बरों को पाने के लिए 3.5 लाख से ज्यादा रुपये खर्च कर चुका है। हिमाचल प्रदेश के बद्दी में पिछले एक सप्ताह में चहल के दवा निर्माण इकाईयों में की गई छापामारी में पुलिस को संदिग्ध औषध रसायन मिले हैं जिनकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 925 करोड़ रुपये आंकी गई है। नशीली दवाईयों के तेजी से फल-फूल रहे व्यापार में कई एनआरआई और विदेशी नागरिक भी संलिप्त हैं जो भारत कनाडा ब्रिटेन सहित यूरोप के देशों में अपना व्यापार चला रहे हैं।