काले रंग का असर
एजेंसी/ कभी-कभी हमें परिवार के लोग शुभ दिनों पर या सामान्य तौर पर भी काले कपड़े पहनने से मना करते हैं। क्या सच में काले रंग का बुरा असर हो सकता है?
रंगों की जो आपकी समझ और अनुभव है, उसमें तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, हरा और नीला। बहुत सारे ऐसे रंग भी हैं जिन्हें इंसान आमतौर पर नहीं देख पाता, क्योंकि आपकी आंखों के ‘वर्ण-शंकु’ यानी ‘कलर कोन’ मुख्य रूप से लाल, हरे और नीले रंग को ही पहचान पाते हैं। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से पैदा किए जा सकते हैं। दुनिया के अलग-अलग धर्मों ने अलग अलग रंगों को चुना है, कुछ ने हरा रंग चुना है, कुछ ने लाल या नारंगी रंग चुना है तो कुछ ने नीला।
हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। आपको पता ही होगा कि कुछ लोग रंग-चिकित्सा यानी कलर-थेरेपी भी कर रहे हैं। वे इलाज के लिए अलग-अलग रंगों की बोतलों का पानी भरने के लिए प्रयोग करते हैं, क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है। आइए जानते हैं काले रंग के बारे में –
काला रंग
कोई चीज काली है या आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, कुछ भी लौटाती नहीं,सब कुछ सोख लेती है। तो अगर आप किसी ऐसी जगह हैं, जहां एक विशेष कंपन और शुभ ऊर्जा है तो आपके पहनने के लिए सबसे अच्छा रंग काला है क्योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा अवशोषित करना चाहेंगे, आत्मसात करना चाहेंगे। जब आप दुनिया से घिरे होते हैं, लाखों-करोड़ों अलग-अलग तरह की चीजों के संपर्क में होते हैं, तो सफेद कपड़े पहनना सबसे अच्छा है, क्योंकि आप कुछ भी ग्रहण करना नहीं चाहते, आप सब कुछ वापस कर देना, परावर्तित कर देना चाहते हैं।
काला रंग बाहर से ही नहीं, भीतर से भी अवशोषित करता है। अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों के संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे घटने-बढऩे लगेगी कि वह आपके भीतर के सभी भावों को सोख लेगी और आपकी मानसिक हालत को बेहद अस्थिर और असंतुलित कर देगी। आपको एक तरह से मौन-कष्ट होने लगेगा यानी ये कष्ट आपको इस तरह होंगे कि आप इनको जाहिर भी नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर आप किसी ऐसी स्थिति में काला रंग पहनते हैं, जो शुभ ऊर्जा से भरपूर है तो आप इस ऊर्जा को अधिक से अधिक ग्रहण कर सकते हैं, जो आपके लिए अच्छा है।
शिव को हमेशा काला माना जाता है क्योंकि किसी भी चीज को ग्रहण करने में उन्हें कोई समस्या नहीं है। यहां तक कि जब उन्हें विष दिया गया तो उसे भी उन्होंने सहजता से पी लिया। उनमें खुद को बचाए रखने की भावना नहीं है, क्योंकि उनके साथ ऐसा कुछ होता भी नहीं है। इसलिए वह हर चीज को ग्रहण कर लेते हैं, किसी भी चीज का विरोध नहीं करते।