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काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की खुदाई में अब मिला शिवलिंग, पहले भी मिल चुके हैं मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के तहत चल रहे ध्वस्तीकरण कार्य के दौरान सोमवार को भी एक शिवलिंग एक मकान के सीढ़ियों के नीचे मिला। खुदाई कर रहे मजदूरों ने इसकी जानकारी मंदिर प्रशासन को दी। मंदिर प्रशासन ने तत्काल सफाई कराकर उस विग्रह का पूजा कराई।

इसके बारे में मंदिर प्रशासन ने ट्वीट भी किया कि कॉरिडोर बनाने के लिए चल रहे ध्वस्तीकरण के कार्य में हर दिन कोई न कोई प्राचीन प्रतिमा और मंदिर मिल रहे हैं। इस दौरान हमें कई मंदिर मिले, लेकिन सीढि़यों के नीचे मिले शिवलिंग से सभी लोग अचरज में पड़ गए हैं। ऐसे मिल रही पुरातत्व की चीजों को संग्रहण और संरक्षण करने का काम किया जा रहा है।
साथ ही इस प्रोजेक्ट का नाम बदलकर उसको संरक्षण प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी की जा रही है। प्रस्तावित कॉरिडोर क्षेत्र में ध्वस्तीकरण के कार्य में अब तक 43 मंदिर और काफी विग्रह मिल चुके हैं। इनमें कुछ 11वीं से 12वीं शताब्दी के भी बताए जाते हैं। कुछ की निर्माण शैली मौजूदा काशी विश्वनाथ मंदिर से हूबहू मिलती है।

मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट का बदलेगा नाम

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए जारी ध्वस्तीकरण प्रोजेक्ट अब संरक्षण कार्यक्रम में बदल रहा है। ध्वस्तीकरण के दौरान बड़ी संख्या में मिल रहे प्राचीन मंदिरों और शिवलिंग की वजह से यह बदलाव किया जा रहा है। मंदिर प्रशासन की ओर से कुछ नामों का प्रस्ताव पीएमओ को भेजा जाएगा। नाम का फैसला पीएमओ से ही होगा।

मंदिर प्रशासन का कहना है कि धरोहर शब्द सिर्फ पुरानी चीज का बोध कराता है, यहां जो मंदिर विग्रह मिल रहे हैं वह सनातन संस्कृति का हिस्सा है। जिस कार्य को हमने ध्वस्तीकरण के लिए शुरू किया था अब वह इन प्राचीन मंदिरों और विग्रहों के संरक्षण कार्य में बदल गया है। इसलिए इसका नाम सनातन संरक्षण कार्यक्रम या आनंद कानन संरक्षण कार्यक्रम करने का प्रस्ताव पीएमओ को भेजा जाएगा। मंदिर प्रशासन के सीईओ विशाल सिंह का कहना है कि यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे नया नाम दिया जाएगा। इसके लिए पीएमओ को कुछ नाम प्रस्तावित भी किए जाएंगे।

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