कासगंज हिंसाः क्या बहुत दिनों पहले से ही सुलग रहा था कासगंज
लखनऊ। क्या कासगंज की हिंसा सुनियोजित थी? क्या वहां पुलिस को पांच दिन पहले ही इसकी जानकारी हो गई थी कि हिंदुओं और मुस्लिमों में टकराव हो सकता है? सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ट्वीट ने ऐसे ही सवाल उठा कर पुलिस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पुलिस अब इस ट्वीट की हकीकत की पड़ताल में जुटी है कि इसमें कितनी सच्चाई है।
एसआइटी इसकी जांच करेगी। जो ट्वीट वायरल हुआ है, वह कासगंज के सोरो क्षेत्र निवासी आयुष शर्मा के ट्विटर हैंडल पर 20 जनवरी को जारी किया गया। इसमें कहा गया था-‘प्लीज लुक इनटू द मैटर सर, दिस कैन बी हिंदू-मुस्लिम हियर’। 26 जनवरी को हिंसा के बाद एक और ट्वीट किया गया-‘ऑल वाज प्री-प्लांड इन कासगंज, आइ हैव ट्वीटेड फॉर दिस फाइव डेज एगो।’
फेसबुक पर भी संदेश साझा
कहा जा रहा है कि युवक ने फेसबुक पर भी इन संदेशों को साझा किया था। वायरल हुआ यह ट्वीट यूपी पुलिस के ट्विटर हैंडल समेत कई अन्य को शेयर किया गया था। यह ट्वीट कितना सही और कितना गलत यह तो जांच के बाद सामने आएगा लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं कासगंज ङ्क्षहसा पुलिस की चूक का ही नतीजा तो नहीं। अब पुलिस आयुष की भी तलाश कर रही है, ताकि उससे पूछताछ की जा सके कि उसे यह सब किन स्रोतों से पता चला था। किस स्तर पर और कहां गड़बड़ी की तैयारी थी। कासगंज के पूर्व एसपी सुनील कुमार सिंह का कहना है कि उन्हें पुलिस मीडिया सेल ने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी थी। न ही ऐसा कोई ट्वीट अथवा संदेश उनके संज्ञान में आया था।
ट्वीट जांच के अनुरूप आगे की कार्रवाई
आइजी कानून-व्यवस्था हरिराम शर्मा ने बताया कि कासगंज हिंसा में दर्ज मुकदमों की जांच के लिए गठित एसआइटी ही ट्वीट की भी जांच करेगी। जो तथ्य सामने आएंगे, उनके अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। एडीजी कानून-व्यवस्था आनन्द कुमार का कहना है कि कासगंज में अब पूरी तरह से शांति है। दो सम्प्रदाय के लोगों के बीच टकराव की घटना के बाद सुरक्षा-व्यवस्था के लिहाज से कासगंज को 60 सेक्टर में विभाजित किया गया है।
आइजी कानून-व्यवस्था ने बताया कि सभी सेक्टर के प्रभारी बनाए गए हैं और पुलिस बल की तैनाती की गई है। अब तक कासगंज ङ्क्षहसा में कुल 11 अभियोग पंजीकृत कराए गए हैं। पुलिस ने इन मुकदमों में 40 नामजद व 17 प्रकाश में आए अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। 13 अभियुक्तों के खिलाफ कुर्की की कार्यवाही भी की जा रही है। हालांकि पुलिस मुख्य आरोपी सलीम के भाई वसीम व नसीम को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
फेसबुक चैट देखकर किया था ट्वीट
डीजीपी के पीआरओ एएसपी राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक उन्होंने आयुष शर्मा से फोन पर वार्ता की। आयुष ने बताया कि फेसबुक पर चैटिंग कर रहे दो सम्प्रदाय के युवकों के बीच कटुता भरे संवाद हुए थे जिन्हें देखकर आयुष ने फेसबुक के उस लिंक के साथ ट्वीट किया था। अब वह लिंक डिलीट कर दिया गया है। कहा कि फेसबुक चैट में 26 जनवरी के दिन हिंसा होने की बात नहीं थी।