किन्नरों से जुडी ये सच्चाई जानकर उड़ जाएंगे आपके होश, पहले कभी नहीं सुना होगा आपने
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किन्नरों के भी होते हैं गुरु
दूसरा रहस्य ये भी है कि किन्नरों के समाज में गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन करना जरूरी होता है यानि की किन्नर समुदाय का गुरु भी खुद पैदाइशी किन्नर होता है। लेकिन कहा जाता है कि किन्नर के गुरु को इस बात का आभास हो जाता है कि उसके कौन से शिष्य की मौत कब होगी। जिसकी वजह से किन्नरों की मृत्यु के बाद उनकी शव यात्रा रात में निकाली जाती है। और तो और कुंभ मेले में भी किन्नर समुदाय विशेष रूप से शामिल होते हैं।
किन्नर भी करते हैं विवाह
बताते चलें कि किन्नर समाज में किसी नए सदस्य को शामिल करने के भी कई नियम होते हैं जबकि आपको ये भी बता दें कि किन्नरों के समूह में नए सदस्य को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है। वहीं अगर आम लोगों की तरह किन्नर समाज भी वैवाहिक बंधनों में बंधते हैं। तो किन्नर समाज अपने अराध्य देव अरावन से विवाह करते हैं, लेकिन इनका विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। बताया जाता है कि ये लोग शादी के अगले दिन ही अरावन देवता की मृत्यु के साथ ही इनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है।
ऐसे होता है अंतिम संस्कार
अब बारी आती है किन्नरों के अंतिम संस्कार की तो आपको बता दें कि अगर इनके परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो ये उसका अंतिम संस्कार आधी रात को अंधेरे में करते हैं ताकि कोई उसे देख न सके। कहा जाता है कि ऐसा करने के पिछे ये कारण है कि अगर कोई मृत किन्नर का अंतिम संस्कार देख ले तो वह अगले जन्म में एक बार फिर किन्नर के रूप में जन्म लेता है। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि मृतक किन्नर को जलाने की बजाए उसे जमीन में दफनाया जाता है और इससे पहले उसे चप्पलों से पीटा जाता है।
राम से मिला था आशीर्वाद
सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या से जा रहे थें तभी उनकी प्रजा समेत सभी किन्नर समुदाय उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब जाकर भगवान श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा और फिर जब वो लंका पर विजय प्राप्त कर आ रहे थें तो उन्होने देखा कि बाकी लोग तो चले गए लेनिक वो किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रह गए थे तभी उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा।