उत्तराखंडराज्य

किसानों की ये दर्दनाक असलियत जानकर आपके पैरों तले खिसक जाएगी जमीन

किसानों की ये दर्दनाक असलियत जानकर आप दंग रह जाएंगे। अगर यहीं हाल रहा तो कुछ सालों बाद हमें अन्न नसीब नहीं होगा। पढ़िए, चौंकाने वाली रिपोर्ट.. आपको यह जानकर हैरानी लगेगा उत्तराखंड में रोजाना करीब 50 किसान खेती छोड़कर अन्य व्यवसाय अपना रहे हैं। राज्य गठन के बाद करीब तीन लाख लोग खेती छोड़ चुके हैं। इनमें से अधिकांश लोग राज्य के दुर्गम पहाड़ी जिलों से पलायन कर चुके हैं। अखिल भारतीय किसान महासभा ने एक विस्तृत सर्वे के हवाले से यह दावा किया है। 

किसानों की ये दर्दनाक असलियत जानकर आपके पैरों तले खिसक जाएगी जमीनराज्य में करीब नौ लाख परिवार खेती कर रहे हैं

वहीं, कृषि विभाग के प्रत्येक पांच वर्ष में होने वाले सर्वे के अनुसार राज्य में करीब नौ लाख परिवार खेती कर रहे हैं।
देशभर में किसान खेती को नुकसान का सौदा बताते हुए छोड़ रहे हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वर्ष 2011 के औसत के अनुसार देशभर में रोजाना 2035 लोग खेती छोड़ रहे थे।

उत्तराखंड की तस्वीर भी इससे अलग नहीं है। राज्य गठन के समय कुल 7.84 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती थी, जो अब घटकर 6.98 लाख हेक्टेयर रह गई है। वहीं 2001 से 2011 के बीच 2.26 लाख लोगों ने खेती छोड़ी। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में खेती छोड़ने वालों की संख्या सबसे अधिक रही। उत्तराखंड में किसानों के खेती छोड़ने के पीछे कई कारण हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पहाड़ में खेती करना खासा मुश्किल हो गया है। अधिक लागत, कम उत्पादन, बिखरी जोत, प्राकृतिक आपदाओं और जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान, सिंचाई की व्यवस्था न होने, मार्केटिंग की कमी, बेहतर गुणवत्ता का बीज और खाद न मिल पाने जैसे कारणों के चलते लोग खेती छोड़ने को मजबूर हुए हैं। 

जिलावार खेती छोड़ने वाले किसान

खेत में किसानPC: amar ujala
देहरादून-20625
नैनीताल-15075
चमोली-18535
अल्मोड़ा- 36401
बागेश्वर-10073
उत्तरकाशी-11710
रुद्रप्रयाग-10970
चंपावत-11281
पौड़ी-35654
पिथौरागढ़-22936
टिहरी-33689 

खेती के पीछे इनवेस्टमेंट की कमी भी प्रमुख कारण

प्रदेश में घटती खेती के पीछे इनवेस्टमेंट की कमी को भी प्रमुख कारण माना जाता है। पहाड़ में जोत छोटी होने के चलते खेती में निवेश नहीं होता है। किसान खेती के नाम पर जो लोन लेते भी हैं, उनका इस्तेमाल व्यवसाय या भवन निर्माण में ज्यादा करते हैं।

औद्योगीकरण​ और शहरीकरण भी कारण
औद्योगीकरण और शहरीकरण बढ़ने से भी किसानों और खेती की जमीन में कमी आई है। जगह-जगह किसानों ने विकास के लिए जमीनें बेच दीं। वहीं उद्योग और शहर लगाने के लिए लोगों ने बड़े पैमाने पर खेती की जमीन छोड़ दी। इससे भी खेती करने वालों की संख्या में कमी आई है।

हमने राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर खेती छोड़ने के कारणों की पड़ताल की। कृषि को बढ़ावा देकर रोजगार के साधन के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए। बाकि पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, हर साल प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के चलते भी लोग खेती छोड़ रहे हैं।
 

 

Related Articles

Back to top button