किसी टीम की तरह कार्य करता है मस्तिष्क
न्यूयार्क। किसी कार्य को करते हुए हमारे मस्तिष्क के दो भिन्न हिस्सों को एक साथ काम करने के लिए उनके बीच संपर्क कैसे स्थापित होता है तथा ऐसा काम करते हुए जिसमें उन हिस्सों को पृथक कार्य करना हो उन्हें एकदूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करने से कौन रौकता है? चिकित्सा एवं शरीर विज्ञानियों के बीच अब तक बनी इस गुत्थी को भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने सुलझा लिया है। स्टैनफोर्ड में इलेक्ट्रिकल इंजिनीयरिंग के प्राध्यापक कृष्णा शेनॉय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के एक दल ने मस्तिष्क के कार्य करने की इस अब तक अनसुलझी प्रक्रिया का पता लगा लिया है। शेनॉय की प्रयोगशाला में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त अनुसंधानकर्ता एवं शोधपत्र के सहलेखक मैथ्यू टी. कॉफमैन ने कहा ‘‘हमारे शोधपत्र में वर्णित मस्तिष्क से जुड़ी पहली प्रक्रिया के अनुसार मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों के बीच लगातार सूचनाओं का आदान प्रदान होता रहता है लेकिन वे सिर्फ उन्हीं सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं जिसकी जरूरत होती है।’’ शोध पत्रिका ‘नेचर न्यूरोसाइंस’ के ताजा अंक में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार कॉफमैन इस बात का अध्ययन कर रहे थे कि पूर्व तैयारी मस्तिष्क को तेजी और कुशलता से काम करने में कैसे मददगार होती है। शेनॉय लैब नाम से मशहूर ‘न्यूरल प्रोस्थेटिक सिस्टम्स लैब’ (एनपीएसएल) को मस्तिष्क की कार्य पद्धति पर प्रारंभिक शोध करने के लिए जाना जाता है।
शोधकर्ताओं ने बंदरों पर प्रयोग के जरिए अपने अनुसंधान को अंजाम दिया। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि तैयारी करने के दौरान मस्तिष्क अपने हर हिस्से की प्रत्येक तंत्रिका की गतिविधियों में बदलाव को बहुत ही सावधानीपूर्वक संतुलित रखता है जिससे कि मांसपेशियों को लगातार संदेश भेजा जा सके।