यदि आपकी कुंडली में सप्तमेश लग्न से असाधारण रूप से बलवान है तो आपमें और आपके जीवनसाथी में काफी अंतर होगा। यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र नीच का हो और सप्तमेश शुक्र का शत्रु हो जैसे कि सूर्य, मंगल या चन्द्र तो विवाह अनमेल होगा। ऐसे योग में आपकी पत्नी में और आपमें बहुत अधिक अंतर होगा। यदि किसी भी प्रकार से मंगल की दृष्टि शुक्र और सप्तम स्थान दोनों पर पड़ती हो तो विवाह अनमेल होगा। पति या पत्नी में से कोई एक अपंग होगा।
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शुक्र या गुरु को मंगल और शनि देख रहे हों और सप्तम स्थान पर कोई शुभ ग्रह न हो तो विवाह अनमेल होगा। इस योग में विवाह के बाद दोनों में से कोई एक मोटापे की और अग्रसर हो जाता है। गुरु लग्न में वृषभ, मिथुन, कन्या राशी में हो और उस पर शनि की दृष्टि हो तो व्यक्ति का शरीर विवाह के बाद बहुत बेडोल हो जाता है इसके विपरीत यदि शुक्र स्वराशी में या अच्छी स्थिति में हो तो पति पत्नी में जमीन आसमान का फर्क नज़र आता है।
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शनि लग्न में हो और गुरु सप्तम में हो तो पति पत्नी की उम्र में काफी अंतर होता है। राहू केतु लग्न और सप्तम में हों और लग्न या सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि हो तो देखने में पति पत्नी की सुन्दरता में भारी अंतर होता है यानि एक बेहद खूबसूरत और दूसरा इसके विपरीत।