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कुछ इस तरह थे याकूब मेमन के आखिरी 10 मिनट!

jakuनई दिल्ली: 30 जुलाई को नागपुर के सेंट्रल जेल में मुंबई हमले के आरोपी याकूब मेमन को फांसी पर लटकाया गया था। मौत की दहलीज पर खड़े मुंबई आतंकी हमले के आरोपी याकूब मेमन ने फांसी से ठीक पहले जेल में एक अधि‍कारी से ये शब्द कहे थे। याकूब ने अधिकारी से कहा था कि मैं और मेरा रब जानता है कि असलियत क्या है। आप लोग तो ड्यूटी कर रहे हैं इसलिए आपको माफ करता हूं।एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, फांसी की सजा पर मुहर की खबर पाने के बाद से याकूब का व्यवहार थोड़ा बदल गया था। फांसी वाले दिन 30 जुलाई की रात वह काफी देर तक सोया, जबकि सुबह पांच बजे जेल प्रशासन ने उसे जगा दिया।अंतिम लम्हों में याकूब के साथ जेल में मौजूद सूत्र ने बताया कि फांसी के लिए जब उसे गुरुवार सुबह 6:50 बजे बैरक से निकाला गया तो वह बिल्कुल डरा या घबराया हुआ नहीं लग रहा था। बैरक से बाहर निकाले जाने के दौरान उसका चेहरा काले रंग के कपड़े से ढंका हुआ था और उसके हाथ पीछे की ओर बंधे हुए थेउसके साथ चल रहे कॉस्टेबल ने जब धीरे से कहा, ‘चप्पल’ तो याकूब ने बड़ी ही धीमी आवाज में जवाब दिया, ‘हां, उतार लेता हूं।’ ठीक सुबह सात बजे जेल सुप्रीटेंडेंट योगेश देसाई ने लोहे की लीवर को खींचा और इसके साथ ही याकूब के पैरों के नीचे से दरवाजा खुल गया। ठीक 7:30 बजे याकूब के शरीर को फंदे से नीचे उतारा गया और जेल के डॉक्टर ने उसे मृत घोष‍ित कर दिया।

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